मुझे अपनी तकनीक पर हो रही थी चिंता
पृथ्वी शॉ ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट मैच के बाद टीम से बाहर होने के बाद मुझे अपनी बैटिंग तकनीक की चिंता होने लगी थी कि आखिर मैं क्यों बोल्ड हो रहा हूं। अगर छोटी सी भी गलती मेरी बल्लेबाजी में थी तो मैं उसे खत्म करना चाहता था। फिर मैंने अपनी बल्लेबाजी पर मेहनत शुरू की। मैंने अपनी शुरुआती मूवमेंट पर काम किया, गेंदबाज गेंद डाले उससे पहले मैं खुद को स्थिर और रेडी रखना चाहता था। ऑस्ट्रेलिया से लौटने के बाद मैंने अपने कोच प्रशांत शेट्टी और प्रवीण आमरे सर के साथ काम किया, इसके बाद मैं विजय हजारे ट्रॉफी में गया, जहां मेरी मेहनत काम आई।
तकनीक में किया छोटा सा बदलाव
शॉ ने कहा कि मैंने विजय हजारे ट्रॉफी में अपना प्राकृतिक खेल दिखाया, लेकिन मैने अपनी तकनीक में बहुत छोटा सा बदलाव किया। इसके बाद सबकुछ ठीक हो गया था। बता दें कि पंजाब किंग्स के खिलाफ मैच में पृथ्वी शॉ ने 17 गेंदों पर 32 रनों की पारी खेली। मुंबई की ओर से खेलते हुए शॉ ने बेहतरीन बल्लेबाजी की, जिसकी बदौलत मुंबई की टीम ने मार्च माह में विजय हजारे ट्रॉफी जीती। विजय हजारे ट्रॉफी में शॉ ने 827 रन बनाए और टूर्नामेंट के इतिहास में सबसे अधिक रन बनाए। यही नहीं विजय हजारे ट्रॉफी में शॉ ने 3 बार 150 से अधिक का स्कोर बनाया जोकि अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
170 के स्ट्राइक रेट से बना रहे रन
पृथ्वी शॉ ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया से वापस आने के बाद मैं अपनी बल्लेबाजी को लेकर चिंतित था, मैंने कड़ी मेहनत की और विजय हजारे ट्रॉफी में रन बनाए। आईपीएल में मुझे बहुत अधिक प्रैक्टिस का मौका नहीं मिला। लेकिन रिकी पोंटिंग सर के साथ मुझे अच्छी प्रैक्टिस मिली, जिसके चलते मेरे खेल में सुधार आया। बता दें कि शॉ पिछले तीन मैचों में 177 के स्ट्राइक रेट से 106 रन बना चुके हैं। दिल्ली का अगला मुकाबला 20 अप्रैल को चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ है।