सबसे कम उम्र में MOM का खिताब
जहां इस मैच की जीत में बल्लेबाजी के हीरो के रुप में रहाणे, तिवारी और धोनी रहे वहीं वाशिंगटन सुंदर ने भी आईपीएल में अपनी सबसे शानदार गेंदबाजी से सबका दिल जीता और अपनी टीम को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आर. अश्विन के चोटिल होने के बाद में पुणे की टीम में शामिल इस गेंदबाज ने बड़ी किफायती गेंदबाजी की। अपने निर्धारित 4 ओवर में सिर्फ 16 रन देकर मुंबई के तीन चोटी के बल्लेबाजों पवेलियन का रास्ता दिखाया। यह उनके करियर का अब तक का बेस्ट प्रदर्शन है। यह उपलब्धि हासिल करते ही वो आईपीएल इतिहास में सबसे कम उम्र (17 साल 223 दिन) में मैन ऑफ द मैच का खिताब हासिल करने वाले खिलाड़ी भी बन गए हैं। इससे पहले कामरान खान (18 साल 44 दिन) के नाम यह रिकॉर्ड दर्ज था।
जब माही ने की सिर्फ छक्कों में बात
यह पहला मौका था जब धोनी ने अपनी पारी में कोई चौका नहीं लगाया सिर्फ छक्के से रन अर्जित किया। 26 गेंद पर 40 रनों की पारी में उन्होंने 5 गगनचुंबी छक्के जड़े। इस मैच से पहले माही के फॉर्म को लेकर क्रिकेट पंडितों के बीच खूब चर्चाएं हो रही थी यहां तक कि पुणे टीम के मालिक भी उन पर तंज कसने से नहीं बचते थे। उन्होंने अपनी धमाकेदार पारी से साबित कर दिया कि वो बड़े मैच के हीरो हैं। माही ने अंतिम 8 गेंदों में 4 छक्के जड़े, पुणे ने अंतिम दो ओवर में 41 रन जुटाए जो उनकी जीत में सहायक बना। मैच भले ही मुंबई में हो रहा था लेकिन दर्शक सिर्फ धोनी, धोनी, धोनी चिल्ला रहे थे।
10 साल बाद आईपीएल का फाइनल खेलेगा यह खिलाड़ी!
आईपीएल के इतिहास में कई संयोग और दुर्योग रहे हैं, पुणे की जीत से पहले ऐसा ही कुछ अनचाहा रिकॉर्ड तेज गेंदबाज अशोक डिंडा के नाम जुड़ा था। उन्होंने पिछले 10 साल के इतिहास में जिस किसी टीम से आईपीएल खेला वो फाइनल में नहीं पहुंच पाई थी। ऐसा पहली बार होगा जब वो पिछले 10 साल में एक ऐसी आईपीएल टीम का हिस्सा होंगे जो 21 मई को होने वाले आईपीएल का फाइनल खेलेगी। भले ही उन्हें इस बार सिर्फ 3 मैच खेलने का मौका मिला है लेकिन उनकी टीम इस बार फाइनल खेलेगी।
बल्लेबाज बनना चाहते थे वाशिंगटन सुंदर
अंडर-19 क्रिकेट में बढ़िया प्रदर्शन कर शानदार इकॉनमी से गेंदबाजी करने वाले सुंदर भी आर. अश्विन की तरह एक ऑफ स्पिनर हैं जो उनकी तरह ही एक बल्लेबाज बनना चाहते थे लेकिन सुर्खियां एक गेंदबाज के रूप में बटोरी। इनके पिता भी एक क्रिकेट खिलाड़ी हैं जिनका चयन तमिलनाडु के संभावित खिलाड़ियों में हुआ था। सुंदर के पिता ने अपने गॉडफादर के सम्मान में अपने बेटे का नाम वाशिंगटन रखा जो इनके लिए बल्ले खरीदते थे और इनकी फीस भरते थे। सुंदर को गेंदबाजी सिर्फ मैच में पसंद थी क्योंकि उन्हें इतने लंबे समय तक फील्डिंग में कोई दिलचस्पी नहीं थी। बाद में उन्होंने भारत के पूर्व गेंदबाज एम वेंकटरमण के नेतृत्व में विधिवत कोचिंग ली।
पुणे की जीत में माही की जमकर तारीफ
पुणे की जीत के बाद सोशल मीडिया पर माही और सुंदर की जमकर प्रशंसा हुई। क्रिकेट पंडितों ने एक ओर जहां वाशिंगटन की जमकर तारीफ की वहीं धोनी के बेमिसाल आईपीएल सफर पर उन्हें सलाम किया। धोनी भले ही पुणे के कप्तान न हों लेकिन नवोदित खिलाड़ियों, पोस्ट मैच कॉन्फ्रेंस में उनकी तारीफ और मैच के बीच नसीहत देना नहीं भूलते हैं। यह साबित करता है कि वो कप्तान न होते हुए भी कप्तान की भूमिका निभाते हैं।