नई दिल्ली। साल 1990 से लेकर 2000 तक ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम का दबदबा देखने को मिला। तीनों प्रारूपों में सफलता मिलने का एक कारण था कप्तान अच्छे मिलना। एलन बॉर्डर से लेकर मार्क टेलर तक स्टीव वॉ और फिर रिकी पोंटिंग तक जैसे कप्तानों टीम को मजबूत रखा। रिकी पोटिंग ने क्रिकेट में कई रिकॉर्ड अपने नाम किए। उन्होंने अपनी कप्तानी में ऑस्ट्रेलियाई टीम को दो बार वनडे का विश्व कप का चैंपियन बनाया। लेकिन पोटिंग के करियर में उन्हें सिर्फ सफलता ही नहीं नाकामी का भी सामना करना पड़ा। पोटिंग ने अपने करियर के सबसे मुश्किल समय के बारे में बताया। पोटिंग ने कहा कि एशेज हारना मेरे करियर का सबसे खराब पल था।
पोंटिंग ने कहा कि 2005 और 2009 में मुझे काफी धक्का लगा कि क्योंकि हम 2005 में निश्चित रूप से एशेज सीरीज जीतने की उम्मीद कर रहे थे। हम सभी को उम्मीद थी कि हम इंग्लैंड जाएंगे और उनकी टीम का सफया कर एशेज के साथ वापस ऑस्ट्रेलिया आएंगे। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। साल 2009 में भी पोटिंग की ही कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया को फिर से एशेज सीरीज गंवानी पड़ी।
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पोटिंग ने कहा निश्चित रूप से मेरे लिए 2005 एशेज की हार का सामना करना सबसे कठिन था। 2010-11 की एशेज सीरीज में एंड्रयू स्ट्रॉस की कप्तानी में इंग्लैंड की टीम ने शानदार खेल दिखाया और हमारी टीम को चारों खाने चित कर दिया। पोटिंग को ऑस्ट्रेलियाई धरती पर एशेज सीरीज हारने का भी काफी गम है।
रिकी पोटिंग ने 2008 में भारत के खिलाफ सीरीज के दौरान हुए 'मंकीगेट' स्कैंडल को अपनी कप्तानी का सबसे खराब क्षण करार दिया। उन्होंने कहा, "मंकीगेट स्कैंडल मामले के बाद टीम में सभी लोग हताश हो गए थे और इसके कारण अगले मुकाबले में इसका टीम के प्रदर्शन पर असर पड़ा था। पर्थ टेस्ट में हम जीत की कगार पर थे, लेकिन हमें इस मैच में हार का सामना करना पड़ा और इसके कुछ दिनों बाद हालात बिगड़ते चले गए।"
बता दें कि उस दौरे के बाद से इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने पिछले 10 टेस्ट मैचों में से 9 में हार का समाना करन पड़ा है जिसमें 2013-14 में 5-0 से एशेज सीरीज में मिली करारी हार भी शामिल है।