बुधवार को आयी एक ख़बर ने दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमियों के पूरी तरह से चौंका दिया. क्रिकेट के इस महारथी को अब हम फिर कभी भी टीम साउथ अफ्रीका की जर्सी में खेलते नहीं देख पाएंगे. मैदान कोई सा भी हो, जब भी यह खिलाड़ी बल्ला लेकर निकल आता था, वो अपने टीम को जीत दिलाने में अपनी ज़ी जान लगा देता था.
क्रिकेट इतिहास में शायद वो अकेला ऐसा खिलाड़ी होगा जिसके लिए विरोधी टीमों के फैंस भी कुछ पल के लिए भूल जाते थे की वो किस टीम को सपोर्ट कर रहे हैं. चाहे वो जोहान्सबर्ग का मैदान हो या मुंबई का वानखेड़े स्टेडियम या फिर आईपीएल में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर का होम ग्राउंड चिन्नास्वामी- एबीडी - एबीडी का शोर हर जगह सुनाई देता और ऐसा शायद ही कोई और खिलाड़ी होगा जिसकी लोकप्रियता इस हद तक है.
ज़्यादातर लोग उन्हें एबी डिविलियर्स या एबीडी के नाम से जानते हैं. कम लोगों को ही पता है कि इस ज़बरदस्त क्रिकेटर का पूरा नाम अब्राहम बेंजामिन डिविलियर्स है.
डिविलियर्स शानदार प्लेयर के साथ साथ एक जेंटलमैन भी हैं. उन्हें मिस्टर परफेक्ट भी कहा जाता है. वह हमेशा शांत स्वभाव के साथ विनम्रता के साथ मैदान पर नज़र आते हैं.
शायद ही किसी भी खिलाड़ी से उनका झगड़ा या बहस हुआ हो. चाहनेवालों के लिए ये सदमे वाली ख़बर थी. दर्शकों को वो दिन भी याद है जब 2015 वर्ल्ड कप के सेमीफइनल में न्यूज़ीलैंड से मिली हार के बाद टीम के कप्तान फूट फूट कर रोए थे.
पूरी दुनिया के क्रिकेट प्रेमी, खासकर दक्षिण अफ़्रीकी प्रशंसक उन्हें 2019 वर्ल्ड कप खेलते देखना चाहते थे और किसी को ये सपने में भी नहीं पता होगा कि वो इतना बड़ा निर्णय एक झटके में ले लेंगे.
डिविलियर्स को मिस्टर 360 डिग्री कहा जाता है. वह स्टेडियम की किसी भी दिशा में शॉट्स खेलने की क्षमता रखते हैं. टीम के सामने जब भी चुनौती आई उन्हें सबसे आगे किया गया.
यही वहज है कि उन्होंने ओपनिंग करने से लेकर नंबर आठ के पायदान तक पर बैटिंग की है. यहाँ तक की उन्हें विकेटकीपिंग भी पकड़ाई गयी और उन्होंने पूरी ज़िम्मेदारी से उसे निभाया.
बतौर विकेटकीपर भी कमाल के रहे है, टेस्ट मैचों में 222 कैच लपके और पांच स्टंप किए है.
2004 में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ अपना पहला मैच खेलने वाले डिविलियर्स ने पहली सिरीज़ में शतक जड़ दुनिया को बता दिया की क्रिकेट के पटल पर उनका आगमन हो चुका है.
हालांकि 2006-07 में वो अपने ख़राब फॉर्म से जूझ रहे थे. ये बुड़ा दौर भी निकल गया और 2008 में अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में भारत के ख़िलाफ़ दोहरा शतक लगाने वाले पहले दक्षिण अफ़्रीकी खिलाड़ी बने.
इस वापसी के बाद डिविलियर्स के सामने अपने रिकॉर्ड को ही अच्छा करने की चुनौती हमेशा बनी रही. मुझे याद है की बतौर टीवी प्रोडूसर पहली बार मैंने अपनी आँखों के सामने उनको यूएई में खेलते देखा था और उस सिरीज़ के बाद मुझे समझ में आ गया की एबीडी किस मिट्टी के बने हैं.
अबू धाबी में खेले गए दूसरे टेस्ट के दौरान उन्होंने पाकिस्तान के गेंदबाज़ों की बखिया उधेर दी. पहली पारी में 278 रन बनाकर नॉट आउट रहे, ये उस समय किसी भी दक्षिण अफ़्रीकी द्वारा बनाया गया सबसे ज़्यादा रन था. यही नहीं उस कैलेंडर साल में उन्होंने एक हज़ार के करीब रन बनाये. ये साल उनके लिए बेहतरीन रहा.
डिविलियर्स वनडे और टी-20 के सरताज माने जाते हैं. पहले वनडे की बात करते हैं जहाँ उनकी औसत 53.5 की है. 22 शतक भी उनके नाम है और आईसीसी रैंकिंग्स में कई साल दोनों ही फॉर्मेट में टॉप बैट्समैन बने रहे.
यही नहीं वनडे में सबसे तेज़ 50, 100 और 150 रन बनाने का रिकॉर्ड भी उन्ही के नाम है. उनका ये रिकार्ड आज तक कोई नहीं तोड़ पाया है.
डिविलियर्स में ये ज़बरदस्त काबिलियत है कि मैच के दौरान वो किसी भी वर्ल्ड क्लास गेंदबाज़ का दिन ख़राब करने की कूबत रखते हैं. दुनिया के गेंदबाजों के लिए एबी हमेशा बड़ी चुनौती बने रहे.
टी-20 में तो उनका कोई तोड़ ही नहीं है. आईपीएल की वजह से उनकी लोकप्रियता भारत में बहुत ज़्यादा है. वो रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए खेलते है और वहां उनकी छवि बार्सिलोना के लिओनेल मेसी की तरह ही है.
जिस तरह कैंप नोउ में मेसी-मेसी की आवाज़ जिस तरह पूरे स्टेडियम में गूँजती है ऐसा ही कुछ नज़ारा चिन्नास्वामी स्टेडियम में देखने को मिलता है.
आईपीएल में अपने बैटिंग और फील्डिंग से उन्होंने खुद को साबित भी किया है और यही उनकी लोकप्रियता की वजह है और बैंगलोर में तो वो भगवान की तरह पूजे जाते हैं.
इस सीजन में भी डिविलियर्स ने जबरदस्त बल्लेबाजी करते हुए कई शानदार परियां खेलीं. खेले गए 12 मैचों में उन्होंने 6 अर्धशतकों की मदद से 480 रन बनाए. उनका औसत 53.33 रहा तो स्ट्राइक रेट 174.55 का.
आईपीएल के सभी 11 सत्रों में खेलते हुए डिविलियर्स ने 150.94 के स्ट्राइक रेट और 39.53 की औसत से खेलते हुए 3,953 रन बनाए, जिसमें तीन शतक और 28 अर्धशतक शामिल हैं.
अगर इसी आईपीएल की बात करें और अगर चेन्नई सुपरकिंग्स के चमत्कारी क्रिकेट को एक तरफ रख दिया जाय तो कौन सा ऐसा पल जो हर क्रिकेट प्रेमी को सालों तक याद रहेगा.
शायद आपके मानस पटल पर वही चित्र उभर आएगी, जी हां हम बात कर रहे हैं उस एबी डिविलियर्स की उस कैच की जिसने सबको हैरान कर दिया था.
एलेक्स हेल्स के बल्ले से निकले शॉट को बाउंड्री लाइन पर एबी ने आश्चर्यजनक तेज़ी से लपका. इसके बाद विराट कोहली ने उनकी तुलना स्पाइडरमैन से कर दी, और उसी कैच ने मैच का नतीजा बदल दिया था.
सोच का फ़र्क, भारतीय खिलाड़ियों के लिए सबक
दुनिया के सबसे स्टाइलिश बल्लेबाजों में से एक डिविलियर्स 14 साल तक दक्षिण अफ़्रीकी टीम का सबसे अहम हिस्सा बनकर रहे. संन्यास लेने की वजह उन्होंने ये बताई की उनकी ऊर्जा खत्म हो रही है और अलविदा कहने का यह उचित समय है.
डिविलियर्स ने कहा कि नए खिलाड़ियों को भी मौका मिलना चाहिए, और उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. संन्यास लेने की वजह सुनने के बाद उनके फैंस की नज़र में निश्चित ही उनके लिए कदर और भी बढ़ गयी होगी.
डिविलियर्स का क्रिकेट के अपने इस चरम पर संन्यास लेना जहाँ काबिले तारीफ़ है वहीं कहीं न कहीं सालों से प्रतिनिधित्व करनेवाले भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए एक इशारा भी, जो आज भी टकटकी लगाए हुए हैं कि शायद उन्हें फिर से देश के लिए खेलने का बुलावा आ जाएगा.
अब समय आ गया है कि युवराज सिंह, हरभजन सिंह और गौतम गंभीर सरीखे खिलाड़ियों को भी को भी इस से सबक लेकर संन्यास के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए.
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