मुम्बई: भारतीय क्रिकेट इतिहास का वो सुनहरा दिन जब भारत ने वानखेड़े में श्रीलंका को हराकर विश्वकप पर कब्जा किया था। 2 अप्रैल, 2011 को टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने विजयी छक्का जड़ा और इसी के साथ पूरा देश जश्न में डूब गया खिलाड़ियों की खुशी का ठिकाना नहीं था लेकिन वहीं कुछ ऐसे भी खिलाड़ी थे जो इस ऐतिहासिक क्षण पर अपने आंसू नहीं रोक पा रहे थे। युवराज सिंह और हरभजन सिंह अधिक इमोशनल थे। वो बेहद भावुक क्षण थे। सचिन तेंदुलकर को सभी ने अपने कन्धों पर उठा रखा था और सचिन हाथ में तिरंगा लेकर स्टेडियम का चक्कर लगा रहे थे।
हर भारतीय उस दृश्य को देख गौरवान्वित महसूस कर रहा था। लेकिन एक ऐसा भी खिलाड़ी था जो समझ नहीं पा रहा था कि क्या करें। इस भावुक क्षण को लेकर देखें कोहली ने क्या कहा..
कोहली कहते हैं, 'मैं बाकी खिलाड़ियों की तरह भावुक नहीं था, क्योंकि ये मेरा पहला विश्व कप था। सभी खिलाड़ी इस ऐतिहासिक क्षण पर अपने आंसू नहीं रोक पा रहे थे। सचिन, धोनी, युवराज सिंह, जहीर सभी भावुक थे। धोनी भी टीम के कप्तान थे और वो भी भावुक थे। मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं था, क्योंकि ये मेरा पहला वर्ल्ड कप था। सभी बेहद भावुक थे, इसलिए मैं भी जबरन रोने की कोशिश करना लगा।'