कराची। पाकिस्तान के पूर्व कप्तान वसीम अकरम ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने बताया कि वो क्यों पाकिस्तान क्रिकेट टीम का कोच बनना पसंद नहीं करते हैं। हालांकि इसके पीछे जो कारण है वो कोई मैनेजमेंट से जुड़ा नहीं, बल्कि परिवार है। 2003 में क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद महान क्रिकेटर वसीम ने कमेंट्री की थी। उसके बाद, वह एक कोचिंग क्षमता में शामिल थे और कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के गेंदबाजी कोच के रूप में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में दिखे थे। फिर उन्हें पाकिस्तान सुपर लीग (PSL) में मेंटरिंग की भूमिका निभाते देखा गया।
वसीम के पास कोचिंग का जबरदस्त अनुभव है लेकिन हैरानी की बात यह है कि वह पाकिस्तान की राष्ट्रीय टीम के कोच बनने के लिए तैयार नहीं हैं। मुख्य कोच मिस्वाह-उल-हक और गेंदबाजी कोच वकार यूनिस ने अपनी-अपनी भूमिकाओं से हाल ही में इस्तीफा दे दिया था। माना जा रहा था कि अकरम एक उपयुक्त उम्मीदवार हो सकते थे।
यह भी पढ़ें- ना कोहली ना रोहित, पोलार्ड ने चुने T20 क्रिकेट के टाॅप-5 खिलाड़ी
लेकिन अभी के लिए, उनकी कोई योजना नहीं है और हाल ही में क्रिकेट पाकिस्तान पर 'क्रिकेट कॉर्नर' शो में बातचीत के दौरान, अकरम ने बताया कि वह कोच नहीं बनना चाहते। वसीम अकरम ने कहा, "जब आप कोच बनते हैं, तो आपको साल में कम से कम 200 से 250 दिन टीम के लिए देने की जरूरत होती है। ऐसे में मुझे नहीं लगता कि मैं अपने परिवार से, पाकिस्तान से बाहर इतना काम संभाल सकता हूं। और जैसा भी है, मैं पीएसएल में अपना ज्यादातर समय खिलाड़ियों के साथ समय बिताता हूं। फिर उन सभी के पास मेरा नंबर है और वे मुझसे फोन के जरिए ही सलाह मांगते रहते हैं।"
उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तानी प्रशंसकों से दुर्व्यवहार एक ऐसी चीज है जिसे वह बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं और यह प्रस्ताव न लेने का प्राथमिक कारण है। वसीम अकरम ने कहा, "मैं बेवकूफ नहीं हूं। मैं सोशल मीडिया पर सुनता और देखता रहता हूं कि कैसे लोग अपने कोचों और सीनियर्स के साथ बदसलूकी करते हैं। कोच खेलने वाला नहीं है। खिलाड़ी ही खेल रहे हैं। कोच सिर्फ योजना बनाने में मदद कर सकता है। तो ऐसे में अगर टीम हारती है, तो मुझे नहीं लगता कि कोच उतना जिम्मेदार या जवाबदेह है जितना हम उसे एक राष्ट्र के रूप में रखते हैं। "