इसलिए थे गुस्सा
कार्तिक ने खुलासा करते हुए कहा, ''हमें मैच जीतने के लिए 12 गेंद में 34 रनों की जरूरत थी और मैं बल्लेबाजी के लिए अंदर जा रहा था। मैं बहुत चिढ़ा हुआ था। मैं सोच रहा था कि मैं पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करता हूं पर मुझे 7वें नंबर पर उतारा गया। क्या मैं बहुत खराब क्रिकेट खेलता हूं। क्या ये बाकी बल्लेबाज मुझसे अच्छा खेलते हैं या फिर मुझपर भरोसा नहीं किया जाता। मैं रोहित से यही सवाल पूछना चाहता था जो उस समय मेरे मन में आए।''
अनुभव ने दिलाई जीत
भारत के लिए यह मैच जीतना आसान नहीं था, लेकिन कार्तिक ने सब खेल बदल दिया। इसपर उन्होंने कहा कि ऐसे समय अनुभव ही काम आता है। कार्तिक ने कहा, ''अनुभव हमें मजबूत बनाता है। जब आखिरी ओवर में 14 रन चाहिए थे तो सभी को पता था कि दबाव गेंदबाज और बल्लेबाज दोनों पर है। यहीं पर आपका विश्वास, प्रैक्टिस काम में आती है। बड़े खिलाड़ी इसलिए दबाव में अच्छा प्रदर्शन करते हैं क्योंकि वो बहुत मेहनत करते हैं। जब आखिरी गेंद फेंकी जानी थी तो मैंने सोचा था कि मैं बस गेंद पर पूरा शॉट खेलूंगा। मैं यही सोच रहा था कि गेंदबाज कोई गलती करे फिर मैं उसका पूरा फायदा उठाऊं। अंत में हुआ भी ऐसा और हम मैच जीतने में कामयाब हो गए।''
रोहित छोड़ चुके थे टेस्ट खेलने की उम्मीद
फिलहाल रोहित भारतीय टेस्ट टीम में भी बताैर ओपनर पक्की जगह बना चुके हैं। लेकिन एक समय ऐसा भी था जब उन्होंने उम्मीद छोड़ दी थी कि वो टेस्ट क्रिकेट खेल पाएंगे। रोहित को लेकर कार्तिक ने कहा, ''रोहित ने जब डेब्यू किया था तो मैं वहीं पर था। उस टीम में मैं ही ऐसा बल्लेबाज था जो उनके साथ खेला था। उन्होंने बहुत उतार-चढ़ाव देखे हैं बाद में उन्होंने खुद को पहचाना। मुझे लगता है कि रोहित ने मान लिया था कि वो अच्छे टेस्ट खिलाड़ी नहीं हैं और उन्होंने खुद को इस दबाव से ही हटा लिया। उसके बाद वो देखिए कैसे रन बना रहे हैं।''