रूस में चल रहे फ़ुटबॉल विश्व कप में शुक्रवार को हुए एक बेहद रोमांचक मुक़ाबले में स्विट्ज़रलैंड ने सर्बिया को 2-1 से हरा दिया.
स्विट्ज़रलैंड की ओर से गोल दागने वाले कोसोवो मूल के दो खिलाड़ियों के जश्न मनाने के अंदाज़ पर अब विवाद हो गया है.
स्विट्ज़रलैंड की ओर से ग्रेनिट शाका और शेरदान शाक़ीरी ने एक-एक गोल दागा था. इन दोनों ही खिलाड़ियों के परिजन कोसोवो से भागकर स्विट्ज़रलैंड पहुंचे थे.
गोल दागने के बाद जश्न मनाते हुए शाका और शेरदान शाक़ीरी ने अपने हाथों से अल्बानियाई बाज़ बनाया. अब इसके राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं.
बीबीसी के यूरोप के क्षेत्रीय संपादक माइक सांडर्स कहते हैं, "ग्रेनिट शाका और शेरदान शाक़ीरी के पास कोसोवो से ग़हरा जुड़ाव महसूस करने के वाज़िब कारण हैं."
शाका के पिता को पूर्व यूगोस्लाविया में कम्युनिस्ट सरकार के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन करने पर तीन साल जेल में बिताने पड़े थे. कोसोवो में युद्ध छिड़ने के बाद शाक़ीरी के परिवार को जान बचाकर भागना पड़ा था.
शाक़ीरी सर्बिया के ख़िलाफ़ मैच में अपने जूते पर कोसोवो का झंडा लगाकर उतरे थे. इसे लेकर भी विवाद हो रहा है.
मैच से पहले ही सर्बिया के अख़बारों ने इसे उकसाने वाला क़दम बताया था.
हाथ से बाज़ बनाने को लेकर उठे सवाल पर शाक़ीरी ने कहा था कि उनका बेहद भावनात्मक प्रदर्शन था.
इसी बीच, अल्बानिया के राष्ट्रपति इलीर मेटा ने दोनों खिलाड़ियों का शुक्रिया अदा किया है.
लेकिन स्विट्ज़रलैंड के कुछ अख़बार इन दोनों स्टार खिलाड़ियों के जश्न को उत्तेजक मान रहे हैं.
सरकार समर्थक एक सर्बियाई अख़बार ने कहा है कि दोनों खिलाड़ियों ने स्विट्ज़रलैंड को शर्मिंदा किया है.
वहीं सर्बिया के कोच म्लादेन क्रिस्ताजिच से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने टिप्पणी करने से इनका करते हुए कहा, "मैं खेल से जुड़ा आदमी हूं और इस तरह की चीज़ों नहीं करता. मैं खिलाड़ी हूं और मैं इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता."
शेरदान शाक़ीरी का जन्म कोसोवे के शहर जीलान में एक अल्बानियाई मूल के मुस्लिम परिवार में हुआ था. जब वो एक साल के थे तब उनका परिवार स्विट्ज़रलैंड आ गया था.
ग्रेनिट शाका का जन्म स्विट्ज़रलैंड के बेसल शहर में अल्बानियाई मूल के मुस्लिम परिवार में हुआ था. शाका के बड़े भाई टौलांट शाका भी पेशेवर फ़ुटबॉल खिलाड़ी हैं.
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