येकातेरिनबर्ग। फीफा वर्ल्ड कप 2018 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने ओपनिंग मैच में मुश्किल से जीतनी वाली फ्रांस की टीम गुरूवार पेरू के खिलाफ जीत हासिल करने उतरेगी। फ्रांस ने विश्वकप के अपने आखिरी 12 मैचों में लैटिन अमेरिकी देशों के खिलाफ केवल 4 बार ही मैच जीते हैं। वर्ष 1998 में उसने ब्राजील को फाइनल में हराकर खिताब जीता था जबकि 4 मैच उसके ड्रा रहे हैं और चार में उसे हार मिली है। ऐसे में उसे पेरू के खिलाफ भी उलटफेर से बचना होगा।
कोच डिडिएर डेसचैम्प्स की टीम फ्रांस शुरुआती मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इतनी एकजुट नहीं दिखी थी, जिसमें उसने वीएआर (वीडियो एसिसटेंट रैफरी) तकनीक के बाद एंटोइन ग्रीजमैन के पेनल्टी और निर्धारित समय से 10 मिनट पहले पोल पोग्बा के गोल से 2-1 से जीत दर्ज की। फ्रांस के फ्रंट तीन खिलाड़ी निशाने से चूकते दिखे। ग्रीजमैन, एमबाप्पे और डेम्बेले से टीम को फिर बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद होगी। खिलाड़ी के तौर पर 1998 की विश्व कप विजेता टीम के सदस्य डेसचैम्प्स के पास चयन के लिए बेहतरीन स्ट्राइकर मौजूद हैं और वे ओलिवर गिरोड से शुरुआत करा सकते हैं।
वहीं पेरू की टीम बात की जाये तो डेनमार्क के खिलाफ बेहतर दिख रही थी, लेकिन उसने गोल करने का स्वर्णिम मौका गंवा दिए और उसे इसमें हार का मुंह देखना पड़ा। एक और हार पेरू की नॉकआउट दौर में पहुंचने की उम्मीद तोड़ सकती है जो उनका 1982 के बाद पहला विश्व कप है। पेरू के खिलाड़ी एक साथ एक पैटर्न बनाकर दूसरे खिलाड़ियों को रोकने की कोशिश करेंगे। इस टीम के अधिकतर खिलाड़ी साउथ अमेरिका के क्लबों के लिए खेलते हैं ऐसे में एक टीम में रहकर खेलना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी। फ्लेमेंगो के फारवर्ड गुएरेरो की मौजूदगी से पेरू के कोच रिकार्डो गारेसा को बड़ी राहत मिली है। उन पर कोकीन लेने के कारण 14 महीने का प्रतिबंध लगा था जो विश्व कप शुरू होने से एक सप्ताह पहले हटा दिया गया था।