नई दिल्ली। खेल के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी खेल में अपने श्रेष्ठ होने की दावेदारी टीम कोर्ट के सामने करेगी। 15 सितंबर को इंदिरा गांधी स्टेडियम में कबड्डी मैच खेला जाएगा इस मैच में टीमें खुद को साबित करने उतरेंगी। इस मैच को लेकर खास बात यहा है कि भारतीय खेलों के इतिहास में पहला मौका होगा जहां न्यायाधीश की निगरानी में एशियाड में खेली टीम बनाम इन टीमों में नहीं चुने गए खिलाड़ियों के दमखम की परीक्षा होगी। एशियन गेम्स 2018 में खिताब गंवाने वाली भारतीय पुरुष और महिला कबड्डी टीम का मुकाबला एशियाड 2018 के दौरान टीम में जगह न मिलने वालों खिलाड़ियों से होगा।
क्या है मामला:
दरअसल पूरा मामला यह है कि एशियन गेम्स के लिए खिलाड़ियों के चयन को लेकर भारतीय एमेच्योर कबड्डी महासंघ के अधिकारियों पर भेदभाव के आरोप लगे थे। इसके बाद मामले को लेकर हुई सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति वीके राव की खंडपीठ ने कबड्डी महासंघ को 15 सितंबर को मैच आयोजित करने का आदेश दिया।सेवानिवृत्त न्यायाधीश एसपी गर्ग को इस चयन प्रक्रिया और मैच के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। उनके साथ खेल मंत्रालय का अधिकारी भी रहेगा।
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पहली बार नहीं जीत पाए गोल्ड मेडल:
बता दें कि भारत ने जकार्ता एशियन गेम्स 2018 से पहले इस खेल में कभी स्वर्ण पदक या कोई खिताबी मुकाबला नहीं गंवाया था। पुरुष टीम ने एशियाई खेलों में लगातार सात बार स्वर्ण पदक जीते थे लेकिन उसे सेमीफाइनल में ईरान से हारने के बाद कांस्य पदक मिला था। वहीं, दो बार की चैंपियन महिला टीम भी फाइनल में हारकर सिल्वर मेडल के साथ बाहर हो गई।