पहली बार झारखंड में राष्ट्रीय खेल के आयोजन के लिए नवंबर 2007 में तिथि घोषित की गई थी परंतु वर्ष 2007 में ही एक फरवरी को असम में राष्ट्रीय खेलों का आयोजन किया गया था जिस कारण इस तिथि को बढ़ाकर दिसंबर 2008 कर दिया गया। आधारभूत संरचना के पूरा नहीं होने का हवाला देते हुए इस तिथि को तीसरी बार बढ़ाकर जून 2009 कर दिया गया परंतु एक बार फिर इस तिथि को गर्मी का हवाला देते हुए बढ़ाकर नवंबर 2009 कर दिया गया है।इधर, 34वें राष्ट्रीय खेलकूद एवं तकनीकी संचालन समिति (जीटीसीसी) के चेयरमैन एस़ एम़ बाली ने मंगलवार को झारखंड में तैयारियों के जायजा लेने के बाद कहा कि अगर नवंबर में यहां खेलों का आयोजन नहीं होता है तो यह झारखंड के लिए बैडलक होगा। बाली ने हालांकि यह भी कहा कि इन खेलों की मेजबानी के लिए जमशेदपुर तो तैयार है परंतु रांची में निर्माणाधीन खेल गांव में अभी भी 25 प्रतिशत काम बाकी है।ज्ञात हो कि राष्ट्रीय खेल के तहत स्पर्धाओं का आयोजन झारखंड के रांची, जमशेदपुर तथा धनबाद में होना है। समय पर खेलों का आयोजन नहीं होने के कारण बजट में भी ढाई गुना वृद्घि हुई है। वर्तमान समय में राष्ट्रीय खेल का कुल बजट 1000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।उल्लेखनीय है कि जिस समय झारखंड को राष्ट्रीय खेलों के आयोजन का हक मिला था, उस समय सारे स्टेडियमों के निर्माण और सभी प्रकार के खर्च जोड़कर कहा गया था कि 350 से 400 करोड़ रुपयों के बीच यह आयोजन निपट जाएगा। राज्य में शिबू सोरेन की सरकार के समय 1000 करोड़ रुपये केन्द्र सरकार से मांगने की बात हुई थी, परंतु सोरेने के मुख्यमंत्री पद से हटने के साथ यह मामला अधर में चला गया था।निर्माण कार्य से जुड़े सरकार के एक अधिकारी का कहना है कि समय के साथ बजट बढ़ना स्वभाविक है। उन्होंने बताया कि रांची के होटवार में निर्माणाधीन मेगा स्पोर्ट्स कांप्लेक्स 206 करोड़ में बनना था परंतु दो वर्ष बाद यह रकम 350 करोड़ रुपये, उसके बाद बढ़कर 460 करोड़ और 2009 में यह राशि बढ़कर 512 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।झारखंड ओलंपिक संघ के प्रशासनिक सचिव जय कुमार सिन्हा का भी मानना है कि बजट 1000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अब तक खेल के आयोजन नहीं होने के लिए किसी एक पर दोषारोपण करना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि इसके लिए जितनी दोषी सरकार है उतना ही दोषी राज्य ओलंपिक संघ है।इधर, झारख्ांड ओलंपिक संघ के कोषाध्यक्ष एवं प्रवक्ता मधुकांत पाठक का कहना है कि ऐसा नहीं कि किसी राज्य में राष्ट्रीय खेलों के आयोजन की तारीख पहली बार बढ़ी है। इसके पूर्व भी पंजाब और असम में हो चुके राष्ट्रीय खेलों के आयोजन की तिथि तीन-तीन बार बढ़ाई गई थी। उन्होंने कहा कि नवंबर तक सभी स्टेडियम सहित सारी आधारभूत संरचनाओं का निर्माण हो चुका होगा।राज्य के पूर्व खेल मंत्री वैद्यनाथ राम का कहना है कि कार्य के प्रति सरकार की समर्पण की भावना नहीं रहने के कारण 34वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन अब तक नहीं हो पाया है, जिससे पूरे देश में झारखंड की किरकिरी हो रही है। उन्होंने कहा कि स्टेडियम के निर्माण की जो रफ्तार है उससे नहीं लगता है कि नवंबर में भी झारखंड में इन खेलों का आयोजन हो सके।इंडो-एशियन न्यू्ज सर्विस।