नई दिल्ली। 18वें एशियन गेम्स में हर रोज नए रिकॉर्ड टूट और बन रहे हैं।खून पसीना एक करके खिलाड़ी हर रोज नई इबारत लिखने की कोशिश करते हैं। खेल मैदान पर कितनी बाधांए पार करने के बाद खड़े खिलाड़ियों की संघर्ष की कहानी बहुत कम ही निकलकर सामने आती है। ऐसी ही एक कहानी है भारत के पड़ोसी मुल्क की खिलाड़ी नरगिस हजारा की।कराटे की खिलाड़ी नरगिस हजारा 68 किलोग्राम कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीता है।इस कांस्य पदक के पीछे की कहानी दिलचस्प है और काबिले तारीफ है। वह पाकिस्तान के उस सूबे बलूचिस्तान से आती हैं जो कई दशकों से अपनी आजादी के लिए पाकिस्तान के साथ संघर्ष कर रहा है।
#SaluteYouNargis Congratulations to Nargis from the Hazara community in Quetta who won a Bronze medal for Pakistan in Karate at the Asian Games 2018 in Indonesia. A brave and tenacious Pakistani woman indeed. #SaluteYouNargis pic.twitter.com/wcphW2JVdh
— SMPakistan (@SMPakistan) August 25, 2018
नरगिस हजारा क्वैटा के नजदीक के कस्बे हजारा की रहने वाली हैं। नरगिस ऐसे इलाके से हैं जो बेहद कंजरवेटिव समाज के ताने बाने से बुना हुआ है। इस इलाके में महिलाओं को बिना बुर्का पहने घर से बाहर जाने की इजाजत तक नहीं है वहां उन्हें कराटे जैसे खेल की मंजूरी देने पर उनके पिता को बड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। नरगिस के सामने कठिनाईयों का अंबार था लेकिन उन्होंने अपने पिता की मदद से एक नया इतिहास लिखा। नरगिस को उनके पहनावे के लिए लोगों की आलोचना का सामना करना पड़ता है।
नरगिस ने इस नए इतिहास से आलोचकों को करारा जबाव मिला है।नरगिस का मानना है कि ब्रॉन्ज मेडल के साथ उन्होंने अपना पिता की आलोचना करने वालों को जवाब दे दिया है।संघर्ष की इस कहानी के बाद नरगिस का ब्रॉन्ज जीतना एक सुखद अहसास है।
एशियन गेम्स में पाकिस्तान मेडल टेली में इस वक्त 33वीं पोजिशन पर है जबकि भारत का स्थान नौवां है। पाकिस्तान को अब तक बस तीन ब्रॉन्ज मेडल ही हासिल हो सके हैं और उनमें से एक ब्रॉन्ज जीतने वाली एथलीट नरगिस हैं। नरगिस की सफलता की इस कहानी ने सभी का दिल जीत लिया है।नरगिस के इस जज्बे को पूरा पाकिस्तान सलाम कर रहा है।