मुंबई। देश की आन-बान शान मैरीकॉम आज जीवन के उस मुकाम पर हैं जहां उन्हें किसी परिचय की जरूरत नहीं है लेकिन देश के कई लोगों की आदर्श मैरीकॉम को आज भी शायद पक्षपात और नजरअंदाजी का दंश झेलना पड़ता है।
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जी हां गुरूवार को एक इवेंट के दौरान मैरीकॉम की सिसकती सांसों और छलकती आंखों ने एक बार फिर से सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर क्यों कुछ लोग नार्थ ईस्ट के लोगों को भारतीय नहीं मानते हैं और उनके साथ हमेशा भेद-भाव का व्यवहार क्यों किया जाता है?
हमेशा मणिपुरी होने की सजा मिलती है
ओलंपिक कांस्य पदक विजेता एमसी मेरीकॉम ने रोते हुए भारतीय चयनकर्ताओं पर मुक्केबाजी चयन और ट्रायल्स में क्षेत्रीय आधार पर पक्षपात करने का आरोप लगाया। मैरीकॉम ने कहा कि मेरे साथ हमेशा से यह होता आया है और आज भी हो रहा है। कुछ रेफरी और जज मेरा पक्ष सिर्फ इसलिए नहीं लेते क्योंकि मैं मणिपुर की हूं।
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मालूम हो कि लंदन ओलंपिक की पदक विजेता मेरीकॉम को 2014 में राष्ट्रमंडल खेलों के भारतीय दल में नहीं चुना गया और उनकी जगह हरियाणा की पिंकी जांगड़ा को टीम में रखा गया है। मैरीकॉम ने कहा कि कुछ रेफरी और चयनकर्ता जानबूझकर हरियाणा की पिंकी को प्रमोट कर रहे हैं और उसे आगे कर रहे हैं जबकि मैंने हमेशा ही पिंकी जांगड़ा को हराया है। मैंने हमेशा खुद को उससे बेहतर साबित किया है लेकिन मेरे साथ जानबूझकर सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।
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मालूम हो कि हरियाणा की पिंकी ने राष्ट्रमंडल खेलों से पहले 51 किग्रा भार वर्ग के ट्रायल्स में मैरीकॉम को हराया था लेकिन मणिपुरी मुक्केबाज ने मैरीकॉम ने कहा कि वहां भी जजों ने बेईमानी की थी और गलत फैसला देकर पिंकी को जीताया गया था।