बंगलौर में रविवार को भारत और इंग्लैड के बीच होने वाले मुक़ाबले के टिकट हासिल करने के लिए हज़ारों क्रिकेट प्रेमियों को पुलिस की लाठियाँ खानी पड़ीं.
खेल प्रेमियों को शिकायत है कि आम जनता के लिए बहुत कम टिकट मुहैया करवाए गए हैं.
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने भी विश्व कप आयोजकों को चिठ्ठी लिखकर टिकटों की बिक्री और बंटवारे में गड़बडी की शिकायत की है.
बंगलौर के चिन्नास्वामी स्टेडियम के सामने हज़ारों क्रिकेट प्रेमी टिकट हासिल करने के लिए इकठ्ठा हुए थे. भीड़ को क़ाबू करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया.
पहले ये मुक़ाबला कोलकाता के ईडन गार्डन में होना था, लेकिन कोलकाता में मैच रद्द होने की वजह से इस मुकाबले को बंगलौर स्थानातंरित किया गया था.
खेलप्रमियों को उम्मीद थी कि वो यहाँ टिकट हासिल करने में सफल होंगे.
इस बीच कर्नाटक क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव और पूर्व क्रिकेटर श्रीनाथ ने कहा है कि लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरना सबसे बड़ी चुनौती है.
उन्होंने कहा, "लोगों की उम्मीदों को पूरा करना संभव नहीं. ये कभी भी संभव नहीं है. लोगों को ख़ुश रखने की भी एक सीमा है. इस मामले में हम बहुत कुछ नहीं कर सकते. सिर्फ़ तीन घंटे में ही सात हज़ार टिकट बिक गए. इतने बड़े मैच के लिए अगर आप टिकटों की संख्या दोगुनी या तिगुनी कर दें, फिर भी ये कम पड़ेंगे."
क्रिकेट विश्व कप के दौरान टिकट बिक्री, आयोजकों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है. विश्व कप के टिकट बड़ी संख्या में प्रायोजकों और व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए अलग रखे गए हैं. इस वजह आम जनता के लिए उपलब्ध टिकटों की संख्या काफी सीमित हो गई है.
लाखों लोगों ने सोमवार को टिकटों की बिक्री के लिए आधिकारिक वेबसाइट पर टिकट लेने की कोशिश की जिसके बाद वेबसाइट ठप्प हो गई थी.
जिन लोगों ने इस वेबसाइट से छह महीने पहले ही टिकट खरीद लिए थे उन्हें भी अब तक टिकट मुहैया नहीं करवाए गए हैं.
वानखेड़े स्टेडियम में भी क्षमता 38,000 से घटकर सिर्फ़ 33,000 रह गई है
पिछले दिनों जब क्रिकेट प्रशंसकों को पता चला कि मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में विश्व कप फ़ाइनल के लिए सिर्फ़ 4,000 टिकट ही उपलब्ध हैं, उनमें ग़ुस्से की लहर दौड़ गई थी.
वानखेड़े स्टेडियम में पिछले कई दिनों से नवीनीकरण का काम चल रहा है जिसकी वजह से उसकी क्षमता 38,000 से घटकर सिर्फ़ 33,000 रह गई है.
टूर्नामेंट के निदेशक रत्नाकर शेट्टी ने बताया कि वह पहले से ही इस बात के लिए बाध्य हैं कि 20,000 टिकट मुंबई क्रिकेट संघ से जुड़े हुए क्लबों को उपलब्ध कराए जाएं और 8,500 टिकट आईसीसी को दिए जाएं जिसकी वजह से बिक्री वाले टिकटों की संख्या घट कर इतनी कम रह गई है.
नाराज़ प्रशंसक सवाल कर रहे हैं कि कोलकाता के ईडेन गार्डेन को फ़ाइनल के लिए क्यों नहीं चुना गया, जहाँ 65,000 दर्शकों के बैठने की सुविधा है.
एक प्रशंसक ने क्रिक इन्फ़ो की वेब साइट पर लिखा, "ये घृणित है......सिर्फ़ 4,000 टिकट... यह प्रबंधन की बहुत बड़ी विफलता है."
दूसरे ने जोड़ा- क्या आप मज़ाक कर रहे हैं? हम देश के सबसे छोटे मैदानों में से एक में फ़ाइनल क्यों आयोजित कर रहे हैं? अगर दो अप्रैल तक ईडेन गार्डेन तैयार हो जाए तो फ़ाइनल को वहाँ शिफ़्ट कर देना चाहिए.
एक और प्रशंसक का कहना था कि भारत में फ़ाइनल कराने का तुक ही क्या है जब करोड़ों लोगों में सिर्फ़ 4,000 लोग ही फ़ाइनल देख पाएंगे.
शेट्टी ने स्वीकार किया कि उनके हाथ अनुबंध की शर्तों से बंधे हुए हैं लेकिन 20,000 टिकट क्लबों को जाने का मतलब यह है कि आम जनता उन टिकटों से महरूम नहीं रहेगी.
आईसीसी ने कहा है कि फ़ाइनल और दोनों सेमी फ़ाइनल के टिकट सोमवार से ऑनलाइन उपलब्ध करा दिए जाएंगे.
इस बीच शेट्टी ने कहा है कि वानखेड़े का मैदान 13 और 18 मार्च को होने वाले मैचों के लिए तैयार हो जाएगा.