चंडीगढ़| देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी और शिक्षाविद मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न देने की बाद एक बार फिर से हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के लिए सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने की मांग बढ़ गई है। इस बार यह मांग की है देश के रीयल हीरो और फ्लाइंग मैन मिल्खा सिंह ने।
जिन्होंने कहा, "मैं वाजपेयी को इस पुरस्कार के लिए चुने जाने पर उन्हें बधाई देता हूं और साथ ही मालवीय को इस सम्मान के लिए चुने जाने पर भी मुझे खुशी है।" लेकिन मिल्खा के अनुसार पूर्व हॉकी दिग्गज ध्यानचंद को भी इस पुरस्कार के लिए चुना जाना चाहिए। ध्यानचंद की मौजूदगी में भारत 1928, 1932 और 1936 ओलम्पिक खेलों में स्वर्ण पदक हासिल करने में कामयाब रहा।
अब मिल्खा सिंह ने कहा कि मेजर ध्यानचंद को मिले भारत रत्न
देश की ओर 1956 और 1960 के ओलम्पिक खेलों में हिस्सा लेने वाले मिल्खा ने कहा, "मैं ध्यानचंद को इस पुरस्कार के लिए चयनित होते देखना चाहता हूं। देश में खेलों को बढ़ावा देने के लिए यह बहुत जरूरी है कि हम अपने खिलाड़ियों का भी सम्मान करें। खिलाड़ी न केवल देश का गौरव बढ़ाते हैं बल्कि दूसरों को भी कड़ी मेहनत करने की प्रेरणा देते हैं।"
मिल्खा सिंह को तीन बार हुई थी मुहब्बत लेकिन..
मिल्खा सिंह के अनुसार पिछले साल सचिन तेंदुलकर को चुना जाना अच्छा फैसला रहा। साथ ही मिल्खा सिंह ने यह भी कहा कि आमतौर पर यह पुरस्कार जीवित व्यक्ति को ही दिया जाना चाहिए।
मिल्खा सिंह ने कहा कि वैसे भारत रत्न जीवित व्यक्ति को ही मिलना चाहिए
मालूम हो कि मिल्खा सिंह ने 1960 में रोम और फिर 1964 में टोक्यो में ओलंपिक में भाग लिया था। होनहार धावक के तौर पर ख्याति प्राप्त करने के बाद उन्होंने 200 मी और 400 मी की दौड़े सफलतापूर्वक की और इस प्रकार भारत के अब तक के सफलतम धावक बने। कुछ समय के लिए वे 400मी के विश्व कीर्तिमान धारक भी रहे हैं।