नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। करीब साठ साल पहले चंडीगढ़ बस रहा था। उन दिनों चंडीगढ़ पंजाब की ही राजधानी थी। चंडीगढ़ 1966 में बनने के बाद हरियाणा की भी राजधानी भी बन गया। चडीगढ़ के बनने के दौरान सेक्टर 16 भी बना। उसी दौर में वहां एक क्रिकेट स्टेडियम भी बना। पहले तो वह छोटा सा होता था। वहां पर सुविधाओं का भी अभाव था। [और भी हैं रोचक कथाएं इतिहास के इन पन्नों में]
देशप्रेम आजाद और सेक्टर 16
वहां क्रिकेट कोचिंग देने लगे देशप्रेम आजाद। ये 60 दशक के अंत की बातें हैं। वे पूरी मेहनत से अपना काम करने लगे। उसी दौर में इधर एक कुक्कू नाम का लड़का भी आया कोचिंग लेन के लिए। वह आगे चलकर कपिल देव बना। उसने क्रिकेट की दुनिया में जो कुछ किया, उसकी मिसाल मिलना कठिन है।
किस-किसने ने ली कोचिंग
देश प्रेम आजाद भी वहां पर क्रिकेट की बारीकियों से रू-बरू करवा रहे थे। उसके बाद तो वहां पर योगराज सिंह, युवराज सिंह, हरभजन सिंह समेत पंजाब और हरियाणा, हिमाचल प्रदेश के बीसियों खिलाड़ियों ने नाम कमाया क्रिकेट की दुनिया में। इन सबने इधर ही कोचिंग ली।
बात सिमटती है
आमतौर पर भारत में क्रिकेट के इतिहास पर जब बात होती है तो वह मुंबई,दिल्ली, कर्नाटक तक सिमट जाती है। चंडीगढ़ के सेक्टर 16 के स्टेडियम की बात नहीं होती।
पहले पंजाब और फिर रेलवे की क्रिकेट टीम से खेलते रहे गुरुचरण सिंह कहते हैं कि सेक्टर 16 के स्टेडियम में कोचिंग जिस मन से बच्चों को दी जाती थी, उसकी मिसाल मिलना मुश्किल है। आजाद साहब सबको अपना बच्चा ही मानते थे। इधर हरियाणा,चंडीगढ़, पंजाब और हिमाचल से बच्चे आकर क्रिकेट के गुर सीखते थे।
एक बार कपिल देव ने इस लेखक को बताया था कि चूंकि चंडीगढ़ में उनका घर सेक्टर 16 में ही था, इसलिए वे इस स्टेडियम में ही सुबह-शाम खेलते थे। उन्होंने ये भी बताया था कि वे जब भी चंडीगढ़ जाते हैं तो एक बार अपने उसी स्टेडियम में जाना नहीं भूलते। पर अब यहां पर आजाद साहब नहीं रहे। उनका पिछले साल निधन हो गया था।