भारतीय ओलंपिक संघ आईओए के महासचिव राजीव मेहता और कुश्ती रेफरी वीरेंद्र मलिक को अलग अलग मामलों में ग्लास्गो में राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान गिरफ्तार किया गया था।
भारतीय दूतावास के एक उच्च अधिकारी ने बताया कि दोनों भारतीय अधिकारियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को सबूतों की कमी के आधार पर वापस ले लिया गया है। इन दोनों को आरोपमुक्त कर बरी कर दिया गया है और अब यह मामला शैरिफ कोर्ट में नहीं चलेगा।
ग्लासगो में संपन्न हुए राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान अलग-अलग अपराध के लिए गिरफ्तार किए गए भारतीय खेल जगत के दो वरिष्ठ अधिकारियों को सोमवार को रिहा कर दिया गया।
संबंधित पक्षों के बीच चली लंबी बातचीत के बाद सुलह हो गई जिसके बाद अभियोजन पक्ष ने ही अपने आरोप वापस ले लिए।
गौरतलब है कि शनिवार की रात भारत को तब शर्मसार होना पड़ा था, जब दो वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों को अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार कर लिया गया। भारतीय ओलंपिक संघ के महासचिव राजीव मेहता और कुश्ती के वरिष्ठ अंतरराष्ट्रीय रेफरी वीरेंद्र मलिक को ग्लासगो में गिरफ्तार किया गया।
मेहता को शराब पीकर गाड़ी चलाने के आरोप में और मलिक को यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
मेहता को राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (सीडब्ल्यूजी) की ओर से ग्लासगो आमंत्रित किया गया था तथा उन्होंने आयोजन के दौरान विजेता खिलाड़ियों को पदक भी प्रदान किए।
राजीव मेहता ने भारतीय समाचार चैनल के साथ बातचीत में बताया कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं था। वे पार्टी से लौट रहे थे और तभी उनकी कार का एक्सीडेंट हुआ। इसमें उनकी कोई गलती नहीं थी और दूसरी गाड़ी चला रही लड़कियां ही गलत ड्राइविंग कर रही थीं।
अभियोजन पक्ष को उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला। ऐसे में कोर्ट के सामने जाने की जरूरत ही नहीं पड़ी और मामला स्वतः खारिज हो गया। इससे पहले भारतीय कुश्ती महासंघ ने एक बयान जारी कर कहा कि रेफरी वीरेंद्र सिंह मलिक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
मलिक को अब किसी भी अंतरराष्ट्रीय या घरेलू स्पर्धा में ऑफिशियल नहीं बनाया जाएगा। ग्लासगो में कानूनी कार्यवाही पूरी होने के बाद मलिक पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।