उन्हें इस मामले में 18-महीने की जेल की सज़ा सुनाई गई थी.राठौर ने निचली अदालत के फ़ैसले के ख़िलाफ़ उच्चतम न्यायालय में अपील की थी.ज़मानत की सुनवाई करते हुए दो जजों की खंडपीठ ने राठौर को ज़मानत देते हुए आदेश दिया है कि वह अदालत के आदेश के बिना मुल्क से बाहर नहीं जा सकते.
अदालत का यह आदेश केन्द्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) के उस फ़ैसले के बाद आया है जिसमें जाँच एजेंसी ने रुचिका गिरहोत्रा मामले में दर्ज किए गए तीन नए केस में से दो में जाँच बंद करने का फ़ैसला किया है.ये केस रुचिका के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के साथ छेड़-छाड़ करने और उसके भाई आशू को हवालात में प्रताड़ित करने से संबंधित थे.
हालांकि 68-वर्षीय राठौर के ख़िलाफ़ रुचिका को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में जाँच जारी रहेगी.हरियाणा के पूर्व पुलिस प्रमुख को एक 14-वर्षीय छात्रा रुचिका गिरहोत्रा के यौन उत्पीड़न का दोषी पाया गया था.बाद में रुचिका ने आत्महत्या कर ली थी.इस मामले में 18 महीने की सज़ा सुनाए जाने पर काफ़ी बवाल मचा था और सवाल उठाए गए थे कि इतनी लंबी सुनवाई के बाद इतनी कम सज़ा दी गई है.