भारत के लिये खेलना है तो शॉर्ट फॉर्मेंट पर देना होगा ध्यान
दीपक चाहर ने कहा,‘जब मैंने तेजी हासिल करने के लिये अपना एक्शन बदला तो मुझे अपनी पूरी टीम के खिलाफ संघर्ष करना पड़ा। मेरे लिये अपना फैसला सही साबित करना मुश्किल हो रहा था। मुझे अचानक ही लगने लगा कि भारतीय टीम के लिये खेल पाना मेरे लिये नामुमकिन है।
चाहर ने कहा कि आईपीएल में अच्छा प्रदर्शन भारतीय टीम में एंट्री का शॉर्टकट है वरना आपको घरेलू श्रृंखलाओं की लंबी और थकाऊ भरी सीरीज से गुजरना पड़ता है।
भारतीय टीम में एंट्री का आसान रास्ता है आईपीएल
उन्होंने कहा,'अगर मैं रणजी के भरोसे रहता तो फिर मुझे बहुत सारे मैच खेलने होते, पूरे सत्र खेलना होता और दलीप ट्रॉफी में खेलना होता। यह लंबा रास्ता था। लेकिन अगर आप आईपीएल में अच्छा प्रदर्शन करते हो तो फिर आपको जल्द ही भारत की तरफ से खेलने का मौका मिल सकता है। अपने करियर के उस दौर में मैंने सफेद गेंद की क्रिकेट पर अधिक ध्यान देने का फैसला किया।'
गौरतलब है कि दीपक चाहर ने आईपीएल की फ्रेचाइजी चेन्नई सुपरकिंग्स के लिये लगातार 2 सीजन खेलने के बाद भारतीय टीम में जगह बनाई। अपनी गेंदबाजी में कमजोरियों को लेकर स्पष्ट राय रखते हुए चाहर ने बताया कि उन्हें क्या करना है।
स्पीड बढ़ाने के चक्कर में कई बार हुआ चोटिल
उन्होंने कहा, ‘जब मैंने रणजी ट्राफी में प्रवेश किया तो मैं केवल 125 किमी की रफ्तार से गेंदबाजी करता था। अपनी तेजी बढ़ाने के प्रयास में मैं काफी बार चोटिल भी हुआ। मैं जानता था कि इस तेजी से मैं अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में नहीं बने रह सकता हूं। मुझे इसे 140 तक बढ़ाना होगा और इसमें स्विंग को जोड़ना होगा।'
चाहर ने कहा, ‘स्विंग लेती गेंद जो 135 से 137 किमी की रफ्तार से की गयी हो वह किसी भी बल्लेबाज के लिये बेहद मुश्किल गेंद होती है। अगर विकेट सपाट है तो 150 किमी की गेंद भी आसानी से खेली जा सकती है।'
सफेद बॉल से रिवर्स स्विंग कराना मुश्किल काम
दीपक चाहर ने कहा कि अब उनका ध्यान लाल से ज्यादा सफेद गेंद की ओर है और उस पर पकड़ बनाने की ओर है। उन्हें लगता है कि लाल गेंद की तुलना में सफेद गेंद को स्विंग करना ज्यादा मुश्किल है।
उन्होंने कहा, ‘अगर लाल गेंद का एक छोर चमकीला है तो वह (रिवर्स) स्विंग लेगी। यही वजह है कि रणजी स्तर पर कई गेंदबाज गेंद को दोनों तरफ मूव कर सकते हैं। सफेद गेंद से स्विंग चमक के कारण नहीं मिलती। यह आपके एक्शन से मिलती है। इसलिए मैंने अपनी तेजी बढ़ाने के साथ इस पर भी काम किया।'
दीपक चाहर ने बताया कौन सी है उनकी मजबूत गेंद
चाहर ने कहा, ‘मैं स्लो बाउंसर अच्छी तरह से करता हूं और अब यॉर्कर फेंकने पर भी काम कर रहा हूं। अब मुझे विश्वास है कि अगर मेरी गेंदों पर लगातार दो छक्के भी लग गये तब भी मैं यॉर्कर कर सकता हूं।'
आपको बता दें कि दीपक चाहर ने भारत के लिये अब तक केवल दो वनडे मैच खेले हैं लेकिन उन्होंने पहले ही इसमें अपना कमजोर पक्ष पता कर लिया था जो दूसरे पावरप्ले में गेंदबाजी करना है। इस दौरान सिर्फ 4 फील्डर्स ही 30 गज के बाहर खड़े होते हैं।