राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid)
भारतीय टीम के सबसे भरोसेमंद खिलाड़ी और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 'द वॉल' के नाम से मशहूर राहुल द्रविड़ ने अपने करियर के दौरान कई शानदार पारियां खेलकर टीम को जीत दिलाने का काम किया। हालांकि अपने करियर के आखिरी पड़ाव के दौरान भारतीय टीम के लिये उन्होंने एक ऐसी धीमी पारी खेली जिसने न सिर्फ फैन्स को निराश किया बल्कि उन्हें आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा।
राहुल द्रविड़ ने साल 2009 में आयोजित की गई आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी के दौरान बेहद निराशाजनक पारी खेलते हुए 103 गेंदों में 76 रन बनाये। सेंचुरियन में खेले गये इस मैच में पाकिस्तान की टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 9 विकेट के नुकसान पर 302 रन बनाए। इस टारगेट का पीछा करने उतरी भारतीय टीम के लिये गौतम गंभीर ने 46 गेंदों में 57 रन बनाकर तेज शुरुआत दी थी, जबकि सचिन तेंदुलकर आउट हो गये थे। वहीं दूसरे छोर पर आये राहुल द्रविड़ लगातार धीमा खेलते रहे और जब सुरेश रैना के साथ तेजी से रन बनाने की बारी आई तो रन आउट हो गये।
राहुल द्रविड़ ने इस मैच में इतनी गेंद झेली जिससे भारतीय टीम दबाव में आ गई और 248 रनों पर ऑल आउट हो गई। पाकिस्तान ने इस मैच को 54 रन से जीता और भारतीय टीम नॉकआउट गेम्स की रेस से बाहर हो गई।
रविंद्र जडेजा (Ravindra Jadeja)
धीमी पारी खेलने वाले खिलाड़ियों की लिस्ट में भारतीय टीम के हरफनमौला खिलाड़ी रविंद्र जडेजा भी शामिल है, जिनकी धीमी बल्लेबाजी के चलते भारतीय टीम को 2009 में आईसीसी टी20 विश्व कप में बाहर का रास्ता देखना पड़ा था। साल 2009 में हुए आईपीएल में रविंद्र जडेजा ने शानदार प्रदर्शन करने के बाद भारत की टी20 विश्व कप टीम में जगह बनाई थी।
भारत को नॉकआउट गेम में इंग्लैंड के खिलाफ मैच में हर हाल में जीत की दरकार थी। इंग्लैंड की टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 7 विकेट खोकर 153 रन बनाये। इस मैच में धोनी ने सभी को चौंकाते हुए जडेजा को चौथे नंबर पर बल्लेबाजी के लिये भेजा ताकि वह तेजी से रन बना सकें लेकिन उम्मीद के विपरीत उन्होंने काफी धीमी पारी खेली और भारत को इस मैच में 3 रनों से हार का सामना करना पड़ा।
रविंद्र जडेजा ने इस मैच में 35 गेंद खेल कर सिर्फ 25 रन बनाये, हालांकि बाद में युसुफ पठान और महेंद्र सिंह धोनी ने टीम के लिये तेजी से रन बनाये पर टीम के स्कोर को सिर्फ 150 तक पहुंचा सके।
युवराज सिंह (Yuvraj Singh)
भारतीय टीम को 2007 में टी20 विश्व कप और 2011 में वनडे विश्व कप जिताने वाले हरफनमौला खिलाड़ी युवराज सिंह के करियर में एक ऐसा मौका भी आया जिसकी वजह से वह हीरो से विलेन बन गये। 2014 में खेले गये टी20 विश्व कप मैच में भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अपना हर मैच जीता और फाइनल में जगह बनाई। जहां धोनी की टीम का सामना श्रीलंका से होना था।
भारतीय टीम ने इस मैच में पले बल्लेबाजी करने का फैसला किया और तेज शुरुआत करते हुए 10 ओवर में 2 विकेट खोकर 64 रन बना लिये थे। इस वक्त युवराज सिंह मैदान पर आये, सभी को उम्मीद थी कि युवी एक विस्फोटक पारी खेलकर भारत को दूसरा टी20 विश्व कप जिताने में एक बार फिर अहम भूमिका निभायेंगे। हालांकि ऐसा हुआ नहीं, युवराज ने 21 गेंदों का सामना करके महज 11 रन बनाये और दूसरे छोर पर खड़े विराट कोहली को स्ट्राइक से दूर रखा।
विराट कोहली ने इस मैच में 77 रनों की पारी खेली और अंत में दबाव में आकर रन आउट हो गये। वहीं युवराज सिंह भी 19वें ओवर में आउट हुए, तो भारत की स्थिति काफी खराब थी। भारतीय टीम 20 ओवरों में सिर्फ 130 रन ही बना सकी जिसे श्रीलंकाई टीम ने आसानी से 17.5 ओवर में हासिल कर लिया। इस हार के लिये युवराज को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, साथ ही फैन्स ने उन्हें इस हार का दोषी भी ठहराया।
सौरव गांगुली (Sourav Ganguly)
राहुल द्रविड़ की कप्तानी में भारतीय टीम ने साल 2005 में इंडियन ऑयल कप खेला था। यह वही वक्त था जब कोच ग्रैग चैपल और भारतीय कप्तान सौरव गांगुली के बीच विवाद चल रहा था। विवाद के चलते ही सौरव गांगुली कप्तानी के लिये मैदान पर नहीं उतरे थे। दूसरे दौर में सौरव गांगुली बतौर खिलाड़ी के रूप में टीम के लिये उतरे तो दांबुली में उन्होंने इतनी धीमी पारी खेली जिसके चलते भारत को हार का सामना करना पड़ा।
सौरव गांगुली ने इस मैच में वनडे इतिहास का सबसे धीमा अर्धशतक लगाते हुए 110 गेंदे खेली और सिर्फ 51 रन बनाये। गांगुली की धीमी पारी के चलते भारतीय टीम महज 220 रन ही बना सका और भारत को हार का सामना करना पड़ा। सौरव गांगुली की इस पारी के चलते ग्रैग चैपल चयनकर्ताओं को यह समझाने में सफल रहे कि क्यों गांगुली को टीम की कप्तानी से हटाया जाना चाहिये। अगली सीरीज के बाद सौरव गांगुली को न सिर्फ कप्तानी से बल्कि बतौर खिलाड़ी भी टीम से बाहर कर दिया गया था।
सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar)
भारतीय टीम के मास्टर-ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने आईसीसी विश्व कप 2011 के दौरान अपने करियर का 99वां शतक लगाया था, जिसके बाद फैन्स उनके 100वें शतक का इंतजार कर रहे थे। एशिया कप 2012 के दौरान सचिन तेंदुलकर ने यह मौका अपने फैन्स को दिया, हालांकि उनके इस शतक के चलते भारतीय टीम को हार का सामना करना पड़ा और भारतीय टीम एशिया कप का खिताब जीतने से रह गई।
ढ़ाका में बांग्लादेश के खिलाफ खेले गये मैच में सचिन तेंदुलकर ने 147 गेंदों का सामना करते हुए 114 रनों की पारी खेली और 100वां शतक पूरा कर विश्व रिकॉर्ड कायम किया। सचिन तेंदुलकर की इस धीमी पारी के चलते भारत एशिया कप के फाइनल के लिए क्वालिफाई नहीं कर सका। असल में भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 289 का स्कोर बोर्ड पर लगाया। जवाब में बल्लेबाजी करने उतरी बांग्लादेश की टीम ने सफलतापूर्वक लक्ष्य हासिल किया और भारत को निराशाजनक हार का सामना करना पड़ा।
इस पारी को सचिन के करियर की सेल्फिश पारी में गिना जाता है, क्योंकि उनकी धीमी बल्लेबाजी का खामियाजा पूरी टीम को भुगतना पड़ा था।