साल 2021 में इंग्लैंड का बुरा हाल-
इस साल बांग्लादेश और वेस्टइंडीज की टीम पांच हार के साथ दूसरे नंबर पर मौजूद है। जिंबाब्वे ने चार टेस्ट मैच हारे हैं जबकि एशियाई टीमों में भारत और श्रीलंका को 3 मैचों में हार का सामना करना पड़ा। पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका ने दो टेस्ट मुकाबले हारे जबकि अफगानिस्तान, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने 1-1 टेस्ट मैच हारा। इस साल इंग्लैंड को जो चार जीत हासिल हुई वह सभी एशियाई टीमों के खिलाफ थी जिसमें श्रीलंका और भारत शामिल है। इंग्लैंड ने दो टेस्ट मैच श्रीलंका की धरती पर जीते जबकि एक टेस्ट मैच भारत के खिलाफ उनके घर में जीता और एक टेस्ट मैच अपनी धरती पर जीता।
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साल 2021 में इंग्लैंड के 54 बल्लेबाज डक पर आउट हुए-
इंग्लैंड को भारत ने इस साल पांच बार हराया, एक मैच कीवियों ने हराया और ऑस्ट्रेलिया मौजूदा एशेज में तीन बार उनको हरा चुका है। 2019 के वर्ल्ड कप चैंपियन के लिए यह साल टेस्ट मुकाबलों के लिहाज से बहुत ही खराब घटा है।
इसके अलावा इंग्लैंड के बल्लेबाजों को 2021 में खेले गए टेस्ट मैचों में 54 बार डक का सामना करना पड़ा। डक क्रिकेट में जीरो रन पर आउट होने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इससे पहले इंग्लैंड ने 1998 में जो टेस्ट मैच खेले थे उसमें भी बल्लेबाजों को 54 बार डक का सामना करना पड़ा था। इंग्लैंड के नंबर 1 से नंबर 7 के बल्लेबाजों ने 34 बार जीरो पर आउट होने का रिकॉर्ड कायम किया।
वेस्टइंडीज की टीम ने 2000 में 44 बार डक बनाया था। ऑस्ट्रेलिया की टीम 1999 में 40 डक बना चुकी है जबकि इंडिया की टीम ने 2018 में 39 बार जीरो किया हुआ है। 2021 में टीम इंडिया ने 35 बार डक किया हुआ है और वे इंग्लैंड के बाद दूसरे स्थान पर है।
बल्लेबाजी में चमक बिखेरकर भी आलोचना के केंद्र में रूट-
इस साल कप्तान जो रूट को छोड़कर कोई भी इंग्लिश खिलाड़ी रन करता हुआ दिखाई नहीं दिया। जो रूट ने अपने बल्ले से रनों की बरसात कर दी और इस इस साल 1708 रन बनाए जबकि दूसरे नंबर पर रोरी बर्न्स केवल 530 रन बनाकर मौजूद है। इस साल इंग्लैंड के लिए नंबर 3 पर सबसे ज्यादा रन एक्स्ट्रा से आए हैं जो कि 412 है।
इससे पहले इंग्लैंड की टीम चार मौकों पर 8 टेस्ट मैच हार चुकी हैं जो उन्होंने साल 1984, 1986, 1993 और 2016 में दर्ज किए थे। साल 2021 जो रूट के लिए बतौर बल्लेबाज काफी बेहतर साबित होने के बावजूद भी कप्तानी पर सवाल खड़े कर रहा है। रूट रन बनाने के बाद भी गंभीर आलोचनाओं के केंद्र में हैं क्योंकि इंग्लैंड अपनी सबसे प्रतिष्ठित एशेज ट्रॉफी हार चुका है।