कोहली का शांति के साथ पलटवार-
कोहली ने इसके बाद चुप्पी साधी और अपनी बारी का इंतजार किया। साउथ अफ्रीका टेस्ट सीरीज से पहले हुई प्रेस कॉन्फ्रेस में कोहली ने पूरी तरह अपनी बात आगे रखी और साबित किया कि वे किसी से दबने वाले नहीं है। उन्होंने बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली के बयान से उलट बात कहकर सनसनी मचा दी।
कोहली ने शांति के साथ सारे सवालों के जवाब दिए लेकिन मुद्दा कोई नहीं छोड़ा। उन्होंने रोहित के साथ अपनी दरार को भी बकवास करार दिया। कोहली ने बोर्ड को भी कठघरे में छोड़ने का काम किया है। जिस तरह से उनसे केवल 90 मिनट पहले कप्तानी छोड़ने का फरमान सुनाया गया। बोर्ड अध्यक्ष की इस बात को भी नकार दिया कि किसी ने उनसे टी20 कप्तानी पर फिर से विचार करने का आग्रह नहीं किया था।
साल 2022 के लिए टीम इंडिया का शेड्यूल, द्विपक्षीय सीरीजों से लेकर टी20 वर्ल्ड कप तक
सामने है अब साउथ अफ्रीका का दौरा-
इतनी सारी बातों के बीच अब समय क्रिकेट पर फिर से फोकस करने का है क्योंकि भारत की साउथ अफ्रीका के खिलाफ मुश्किल सीरीज 26 दिसंबर से शुरू हो रही है। यह 2018 के बाद पहली बार होगा जब भारतीय टीम इस देश की यात्रा कर रही है और कोहली की अगुवाई में जब से टीम ने टेस्ट में शानदार प्रदर्शन किया है तब से टीम को हर देश में जीत की दावेदार माना जा रहा है। पिछली बार भारत ने शुरुआती दो टेस्ट हारने के बाद प्रोटियाज के खिलाफ सीरीज का तीसरा मैच जीतने में कामयाबी हासिल की थी।
भारत ने उस दौरे के बाद जो लय हासिल की वह उसी साल के अंत में इंग्लैंड में खिलाफ उसी की धरती पर भी जारी रही। भारत ने अंग्रेजों को टक्कर दी और फिर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तो उनकी धरती पर सीरीज जीत हासिल कर ली। दो साल बाद भारत ने फिर से कंगारूओं को उनकी मांद में मात देकर हड़कंप मचा दिया और फिर इसी साल की गर्मियों में इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई टेस्ट सीरीज में भी टीम इंडिया के पास अपराजेय बढ़त है जिसका एक मुकाबला अगले साल खेला जाना है।
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लीडरशिप घटने के बाद कोहली से उम्मीद अभी कम नहीं-
कोहली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि, दक्षिण अफ्रीका में हम अभी तक कोई सीरीज नहीं जीत पाए हैं, तो हम इस बार काफी मोटिवेटिड हैं और हमारा माइंडसेट यही है कि हमेशा बाहर जाकर सीरीज जीतें।
हालांकि कोहली ने कहा है कि लीडरशिप रोल की समाप्ति के बाद भी उनके मोटिवेशन में कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन सच यह है कि टेस्ट मैचों में टीम इंडिया के पास रोहित नहीं होंगे। कोहली को सामने से आकर बैटिंग में अगुवाई करनी होगी। उनकी बल्लेबाजी पिछले समय से प्रभावित हुई है। अब उनकी बैटिंग की भारत को सबसे ज्यादा जरूरत है क्योंकि ना तो अंजिक्य रहाणे पहले जैसे बल्लेबाज रह गए हैं और ना ही चेतेश्वर पुजारा अब पुराने भरोसेमंद हैं। कोहली ने खुद नवंबर 2019 के बाद से शतक नहीं लगाया है। साल 2020 में भी उन्होंने केवल 25 से कुछ ही ऊपर के औसत से बैटिंग की है जबकि उनका करियर औसत पचास से ऊपर का है।
भारत को अपनी रन मशीन के फिर चालू होने का इंतजार-
हालांकि कई लोग मानते हैं कोहली कप्तानी से बोझ से आजाद होकर पुराने रंग में आ जाएंगे। अब वे आईपीएल में भी कप्तान नहीं रहेंगे। कोहली को सफेद गेंद क्रिकेट में रन करने की जरूरत है क्योंकि यहां पर युवाओं की भरमार है और कंपटीशन तगड़ा है। कोहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में काफी बोल चुके, अब बल्ले से बोलने की जरूरत है। वैसे भी जब उनके बल्ले से रन बहते हैं तब आलोचकों के मुंह पर ताला लग जाता है, चाहे फिर कोहली कुछ भी करें।
भारत को अगले 18 महीने में 3 मेजर टूर्नामेंट खेलने हैं और टीम इंडिया को एक टीम के तौर पर एकजुट होकर खेलने के लिए रन मशीन कोहली की सख्त जरूरत है।
कोहली कह चुके हैं कि द्रविड़ और रोहित को उनका पूरा सहयोग मिलेगा और अगर कोहली ऐसा करने में कामयाब रहते हैं तो भारतीय टीम को इसका सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा।