भविष्य में किसी चीनी कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट नहीं देगा BCCI
एक अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष अरुण धूमल ने साफ किया कि आने वाले समय में बोर्ड किसी भी स्टेडियम या खेल से जुड़ कॉन्ट्रैक्ट को किसी भी चीनी कंपनी को नहीं देगा।
उन्होंने कहा,' भविष्य में बीसीसीआई किसी भी तरह के करार को किसी भी चीनी कंपनी को नहीं देगा। फिलहाल बोर्ड का जो मौजूदा करार वीवो के साथ है उसे पूरा करना ही होगा, हालांकि अगर सरकार इसे समाप्त करने के लिये कहती है तो बोर्ड इसे खत्म करने में बिल्कुल भी संकोच नहीं करेगा।'
अगर ऐसा हुआ तो बीसीसीआई करार तोड़ने को है राजी
अरुण धूमल ने साफ किया कि फिलहाल स्पॉन्सरशिप के मुद्दे पर बीसीसीआई और वीवो के बीच कोई बात नहीं है लेकिन स्पॉन्सरशिप को लेकर चीनी कंपनियों के साथ संबंध तोड़ने को लेकर सरकार की ओर से सलाह या आदेश आता है तो बीसीसीआई इस कॉन्ट्रैक्ट को तोड़ने में एक पल भी नही सोचेगा।
उन्होंने कहा, 'अगर सरकार चीनी सामान और कंपनी पर बैन लगाने का फैसला करती है तो बीसीसीआई को इसका पालन करने में खुशी होगी। बीसीसीआई अनुबंध समाप्त होने पर भविष्य में लोगों की भावना को ध्यान में रखेगा। एक भारतीय होने के नाते चीन को सबक सिखाने के लिए यह करना है और उस जगह पर चोट पहुंचानी है, जहां सबसे ज्यादा दर्द हो। उनका सामान न खरीदकर यह आर्थिक रूप से हो।'
वीवो के साथ है 2199 करोड़ का करार
गौरतलब है कि पिछले करीब 3 हफ्तों से भारत और चीन के बीच लद्दाख में सीमा पर गलवान वैली में सड़क निर्माण पर तनाव का माहौल जारी है, जिसके बीच सोमवार को लगभग 4 दशक बाद हिंसक झड़प देखने को मिली और भारत के करीब 20 से ज्यादा जवान शहीद हो गये। इस हिंसक झड़प के बाद भारत में चीन विरोधी माहौल गर्म है और उसके बाद से ही चीनी उत्पादों के बहिष्कार की मांग की जा रही है।
धूमल ने हालांकि कहा कि आईपीएल जैसे भारतीय टूर्नामेंटों के चीनी कंपनियों द्वारा प्रायोजन से देश को ही फायदा हो रहा है। बीसीसीआई को वीवो से सालाना 440 करोड़ रूपये मिलते हैं जिसके साथ पांच साल का करार 2022 में खत्म होगा।