कोहली की सूझबूझ-
जब जसप्रीत बुमरा पहला ओवर कर रहे थे तब कोहली ने देखा कि गेंद को पिच से मदद मिल रही है। बुमरा की तेज गेंदों को हवा में मूवमेंट मिल रही थी। गेंद लगातार कांटा बदल रही थी। बुमरा की गेंद पर अमला का कैच जब दूसरे स्लिप पर रोहित ने पकड़ा तो कोहली के दिमाग में कुछ चलने लगा। बुमरा लगातार 143-144 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से गेंदें फेंक रहे थे। गोली की रफ्तार से गेंद ऑफ स्टंम्प पर पड़ कर बाहर की तरफ निकल रही थी। अभी तक बुमरा दो स्लिप के साथ गेंदबाजी कर रहे थे। तभी कोहली अचानक तीसरे स्लिप में आ गये। वनडे मैच में तीन स्लीप के साथ बॉलिंग करना हैरान करने वाला फैसला था। कोहली ने कवर से फील्डर हटा कर क्वांटन डी कॉक को कवर ड्राइव करने का लालच दिया। कोहली सोच रहे थे कि अगर कवर ड्राइव मिस टाइम हुआ तो बल्ले का किनारा लेकर गेंद तीसरी स्लिप में आ सकती है। हुआ भी ऐसा ही। डी कॉक कोहली के इस जाल में पंस गये। बुमरा अपनी लय में थे। उन्होंने 143 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद डाली। डी कॉक कवर ड्राइव के लिए बाहर निकले, गेंद बल्ले का किनारा लेकर तीसरे स्लिप पर गयी जहां कैच लेने के लिए कोहली पहले से मौजूद थे। इस तरह कोहली ने जाल बिछा कर डीकॉक का शिकार किया।
बॉलिंग चेंज में भी चतुराई-
कोहली ने बॉलिंग चेंज में भी कमाल दिखाया। बुमरा शुरू में पांच ओवर कर चुके थे। आमतौर पर बुमरा को 35 ओवर के बाद दूसरे स्पेल में लाया जाता रहा है। लेकिन कोहली ने बुमरा को 31वें ओवर में ही दूसरे स्पेल के लिए गेंद थमा दी। तब तक दक्षिण अफ्रीका के पांच विकेट गिर चुके थे। कोहली जल्द से जल्द विकेट लेकर मैच को अपनी गिरफ्त में करना चाहते थे। बुमरा ने अपनी तेज गेंदबाजी से दक्षिण अफ्रीक के बल्लेबाजों में दहशत पैदा कर दी। जब 141 की रफ्तार से गेंद फुलकयावो के कान से पास से गुजरी तो वे कुछ समझ नहीं पाये। बुमरा ने यॉर्कर और बाउंसर का ऐसा नजारा पेश किया कि फुलकयावो एक भी रन नहीं बना सके। बुमरा 31 वां ओवर मेडन रहा। इस एक ओवर ने दक्षिण अफ्रीका के मोमेंटम पर ब्रेक लगा दिया। कुलदीप को स्ट्राइक बॉलर माना जा रहा था। लेकिन जब वे असरदार नहीं दिखे तो कोहली ने यजुवेन्द्र चहल पर ज्यादा भरोसा किया। चहल ने चार विकेट निकाल कर दिखाये भी।
धोनी की छाया से मुक्त हो रहे कोहली-
अभी तक टीम इंडिया में महेन्द्र सिंह धोनी को ही सबसे तेज दिमाग वाला क्रिकेटर माना जाता रहा है। धोनी की सलाह टीम के लिए इतनी अहम मानी जाती रही है कि कोहली को आधा कप्तान तक कहा जाने लगा था। लेकिन वर्ल्डकप के पहले ही मैच में कोहली ने मुनादी कर दी है कि वे धोनी की छाया से मु्क्त हो कर खुद का मुकाम बनाएंगे। जैसे ही मौका मिला कोहली ने अपनी चतुराई दिखा दी। एक कप्तान के रूप में कोहली का ये पहला वर्ल्डकप है। खिलाड़ी के रूप में वे दो विश्वकप खेल चुके हैं। एक कप्तान के रूप में कोहली को अपनी काबिलियत साबित करनी है। पहले मैच में कोहली ने ऐसा कर के दिखाया है।
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