कोहली को धोनी से मिला कांटों का ताज-
सचिन तेंदुलकर एक साल पहले रिटायर हो गए थे। जहीर खान और वीरेंद्र सहवाग भी धोनी से ठीक पहले 2014 की शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को विदाई दे चुके थे। इशांत शर्मा और उमेश यादव अभी भी उभर ही रहे थे। आर अश्विन घर पर टेस्ट करियर की शानदार शुरुआत के बाद विदेशी परिस्थितियों में जूझ रहे थे, जबकि रवींद्र जडेजा प्रथम श्रेणी के सर्किट में वापसी कर रहे थे। कुल मिलाकर यह भारतीय क्रिकेट में एक नए युग की शुरुआत हो रही थी जब विराट कोहली को टेस्ट कप्तानी दी जा रही थी। टेस्ट क्रिकेट में भारत को कई बार हारने से रोकने की जिम्मेदारी अब विराट कोहली की थी। कोहली पहले से ही दुनिया के सर्वश्रेष्ठ सफेद गेंद के बल्लेबाज के रूप में स्थापित हो चुके थे और टेस्ट क्रिकेट जगत को पहले ही उनकी कप्तानी का स्वाद तब मिल गया था वह एडिलेड में पहले टेस्ट में स्टैंड-इन कप्तान के रूप में खड़े थे। अपने पहले कप्तानों के विपरीत, उन्होंने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया था क्योंकि वह अंतिम दिन 364 का पीछा करते हुए एक टीम को अप्रत्याशित जीत के करीब ले गए थे। भारत इस मैच में जीत से 48 रन पीछे रह गया था।
पांच साल में कोहली ने तय किया टॉप का सफर-
पांच साल के अंदर , उन्होंने भारत को ICC रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंचाया, श्रीलंका और वेस्ट इंडीज में बैक-टू-सीरीज़ जीतीं, ऑस्ट्रेलिया में सीरीज जीतने वाले पहले एशियाई कप्तान बने और भारत को घरेलू स्तर पर लगातार 9 सीरीज जीतने वाले कप्तान बने। इतना ही नहीं इस अभूतपूर्व यात्रा के दौरान कोहली ने किंग्स्टन में जीत के साथ लंबे प्रारूप में भारत के सबसे सफल कप्तान बनने का तमगा भी हासिल कर लिया। कोहली न केवल एक भारतीय कप्तान के तौर पर सबसे अधिक मैच जीत चुके हैं, बल्कि उनकी कप्तानी में आधे से अधिक गेम जीतने वाले एकमात्र भारतीय कप्तान भी हैं। जीत-हार अनुपात के आधार पर, कोहली एकमात्र ऐसे भारतीय कप्तान हैं जो हर मैच हार के साथ दो मैच ज्यादा जीतते हैं। कोहली ने अपनी कप्तानी में खेले गए 51 मैचों में 31 में जीत दर्ज की, 10 में हार मिली और 10 टेस्ट ड्रा हुए। इस दौरान उनको घर में जबरदस्त सफलता के बीच श्रीलंका में 5, वेस्टइंडीज में चार, ऑस्ट्रेलिया में दो और साउथ अफ्रीका व इंग्लैंड के खिलाफ 1-1 जीत मिली।
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ना केवल जीते बल्कि बुरी तरह से हराया-
कोहली की कप्तानी में भारत को जिस तरीके से जीत मिली वह भी उसको खास बनाती है। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दौरे से पहले ही रनों के अंतर के मामले में भारत की शीर्ष 20 टेस्ट जीत में से दस कोहली के अंतर्गत आई हैं, जिनमें टॉप पांच में से चार शामिल हैं। भारत ने कोहली के तहत 300 से अधिक अंतर से दो विदेशी टेस्ट जीते हैं- 2019 में नॉर्थ साउंड में 318 रन और 2017 में गाले में 304 रन। इतना ही नहीं, भारत की सबसे बड़ी पारी जीत - एक पारी और 272 रन से, अक्टूबर 2018 में राजकोट में वेस्ट इंडीज के खिलाफ आई।
कोहली की कप्तानी की सबसे बड़ी उपलब्धि-
अगर कोहली की कप्तानी की सबसे बड़ी छाप छूटी है, तो वह है पेस बैटरी का उभरना। इशांत और उमेश कोहली के तहत खुद के ही बेहतर एडीशन बन गए। मोहम्मद शमी ने आग उगलती गेंदबाजी की तो वहीं, सबसे लंबे प्रारूप में जसप्रीत बुमराह का उभरना भारतीय क्रिकेट की सबसे बड़ी सफलता की कहानियों में से एक है। उपरोक्त पेसरों की लंबी सफलता ने भुवनेश्वर कुमार को 18 महीने से अधिक समय तक टेस्ट नहीं खेलने दिया। भारत के तेज गेंदबाजों के लिए सबसे अच्छी अवधि कोहली की कप्तानी में हुई है जिन्होंने इस दौरान 27.40 की औसत से हर टेस्ट में 8.21 विकेट लिए हैं।