इन दो भारतीयों को चुना
हरभजन ने 2011 विश्व कप के दौरान भारत की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अब अपने क्रिकेट के अनुभव को दिखाते हुए उन्होंने टेस्ट में सर्वश्रेष्ठ प्लेइंग इलेवन चुनी जो कागज पर काफी मजबूत दिखती है। उन्होंने भारत के महान सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग और मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को अपनी टीम में जगह दी है। हरभजन ने वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान और महान बल्लेबाज ब्रायन लारा को नंबर 3 पर चुना। दूसरी ओर, भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर चौथे नंबर पर हैं। जालंधर में जन्मे हरभजन ने ऑस्ट्रेलिया के स्टीव वॉ को नंबर 5 पर रखा। उन्होंने स्टीव वॉ को अपनी सर्वकालिक टेस्ट इलेवन का कप्तान भी बनाया है। हरभजन ने बताैर विकेटकीपर एमएस धोनी को नहीं चुना, उन्होंने श्रीलंका के कुमार संगकारा को चुना।
बताैर विकेटकीपर संगकारा को दी जगह
जैक कैलिस, जिन्हें दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडरों में से एक के रूप में जाना जाता है, ने हरभजन की ऑलटाइम 'बेस्ट टेस्ट XI' में जगह पाई है। दूसरी ओर, हरभजन ने शेन वार्न को अकेला स्पिनर चुना। हालांकि, उन्होंने वसीम अकरम, ग्लेन मैक्ग्रा और जेम्स एंडरसन जैसे तीन तेज गेंदबाजों को चुना। पाकिस्तान हमेशा से एक ऐसा देश रहा है जिसने विश्व स्तर के गेंदबाज पैदा किए हैं। हरभजन सिंह ने वसीम अकरम को इस खेल में सबसे अच्छे बाएं हाथ के तेज गेंदबाज के रूप में देखा। इसके अलावा हरभजन ने टेस्ट क्रिकेट (800) में सबसे अधिक विकेट लेने वाले मुथैया मुरलीधरन को 12वें खिलाड़ी के रूप में चुना।
हरभजन सिंह की ऑल टाइम बेस्ट टेस्ट प्लेइंग इलेवन:-
एलिस्टेयर कुक, वीरेंद्र सहवाग, ब्रायन लारा, सचिन तेंदुलकर, स्टीव वॉ (कप्तान), जैक्स कैलिस, कुमार संगकारा (विकेटकीपर), शेन वार्न, वसीम अकरम, ग्लेन मैक्ग्रा, जेम्स एंडरसन।
हरभजन ने निभाई भारतीय क्रिकेट में अहम भूमिका
उन्होंने भारत के लिए 103 टेस्ट में 417 विकेट लिए हैं। 236 वनडे खेलने वाले भज्जी के नाम 269 विकेट हैं, साथ ही 28 टी20 मैचों में 25 विकेट लिए हैं। लंबे समय तक भारतीय टीम के लिए खेले हरभजन अब मेंटर की भूमिका में दिखाई देंगे। इसके अलावा उन्होंने कमेंट्री भी की है। हालही में हरभजन ने अपने फेवरेट कप्तान नाम का भी खुलासा किया था। उन्होंने बताया था कि साैरव गांगुली उनके फेवरेट कप्तान रहेंगे। हरभजन ने कहा था, ''मेरे फेवरेट कप्तान हमेशा गांगुली ही रहेंगे। मैं जिंदगी भर उनका कर्ज नहीं चुका पाऊंगा। मेरी जिंदगी का सबसे टर्निंग प्वाइंट गांगुली से जुड़ा है जिन्होंने उस समय मेरा हाथ थामा जब मैं नेशनल अकादमी से बाहर हो गया था। मैं रणजी ट्राॅफी में बहुत अच्छा कर रहा था, लेकिन चयनकर्ता मुझे पसंद नहीं करते थे क्योंकि वो अपने पसंदीदा खिलाड़ियों को जगह देना चाहते थे। रणजी में 4 मैचों में 28 विकेट लेने पर भी मुझे जगह नहीं मिली थी, लेकिन गांगुली ने चयनकर्ताओं को कहा कि इस खिलाड़ी को एक बार देख लेना चाहिए। फिर गांगुली ने मुझे खेलने के माैके दिए तो 2001 में टेस्ट सीरीज में मैंने 32 विकेट लिए, साथ में हैट्रिक ले ली। अगर उस समय गांगुली ने मेरा हाथ नहीं थामा होता था तो मैं क्रिकेट छोड़ देता।''