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ICC World Cup 2019: दस टीमें, एक सपना, कौन ले जाएगा क्रिकेट का CROWN

नई दिल्ली। यह साल 1999 की बात है जब यूरो एक मुद्रा के रूप में स्थापित हुई थी, नाइजीरिया से सैन्य शासन खत्म हुआ था, स्कॉटिश संसद आधिकारिक रूप से शुरू की गई थी, और युनाइटेड स्टेट ने पनामा कैनाल का प्रशासन पूरी तरह से पनामा सरकार को सौंप दिया था। ये भी 1999 का साल था जब इंग्लैंड ने आईसीसी क्रिकेट विश्व कप की मेजबानी की थी। पिछले 20 सालों में दुनिया के साथ क्रिकेट में भी काफी बदलाव आए हैं। कभी मात्र गेंद और बल्ले का खेल समझा जाना वाला क्रिकेट टी-20 नाम की क्रांति में अनेकों बदलावों के दौर से गुजरा, डे नाइट पिंक बॉल टेस्ट मैच शुरू हुए और अंपायर के फैसले को रिव्यू करने वाली डिसीजन रिव्यू सिस्टम प्रणाली भी विकसित हुई।

विश्व कप यानी क्रिकेट की सबसे प्रतिष्ठित ट्रॉफी-

विश्व कप यानी क्रिकेट की सबसे प्रतिष्ठित ट्रॉफी-

इसी दौरान 24 साल के एकछत्र राज के बाद सचिन तेंदुलकर से बेस्ट बल्लेबाजी की पदवी विराट कोहली के पास पहुंच गई। लेकिन इन सभी बदलावों के बीच भी एक चीज आज भी वैसी बनी हुई है। वह है 50 ओवर के विश्व कप में जीत हासिल करना, जो आपको अगले चार साल के विश्व चैंपियन का तमगा देती है। इस बार विश्व कप का 12वां संस्करण काफी ओपन बताया जा रहा है। सभी 10 टीमें एक दूसरे के खिलाफ खेलते हुए अंतिम चार में पहुंचने की जंग लड़ेंगी। इससे पहले साल 1992 में भी इसी तरह का फार्मेट अपनाया गया था। इस बार एक और खास बात यह है कि शायद ही किसी विश्व कप में इंग्लैंड की टीम ऐसी जबरदस्त प्रतिष्ठा से कप की दावेदार के तौर पर खेली है, जैसी की इस बार खेलने उतरेगी।

सबसे घातक इंग्लैंड की टीम, पर खेल है दबाव का

2015 में हुए विश्व कप में पहली स्टेज से ही बाहर होने के बाद इस टीम ने अपनी समूची काया ही पलटकर रख दी है। इसके पीछे टीम चयन के साथ खिलाड़ियों को खुलकर खेलने की आजादी देने जैसी रणनीतिया शामिल हैं जिसने इस टीम को आज दुनिया की सबसे घातक वनडे टीम बना दिया है। विश्व कप की शुरुआत 30 मई से इंग्लैंड के पहले मैच के साथ ही हो जाएगी। यह मुकाबला दक्षिण अफ्रीका के साथ होगा। मेजबान इंग्लैंड पिछली 10 वनडे क्रिकेट सीरीज में पराजित नहीं हुआ है। केवल दबाव में ढहने की उनकी प्रवृत्ति ही उनको इस विश्व कप का आंख बंद करके दावेदार बनने से रोकती है। मेजबान देश भारत की ओर से पेश आने वाली चुनौतियों के प्रति भी सजग होगा।

टॉप 3 के अलावा भी बहुत कुछ है टीम इंडिया-

टॉप 3 के अलावा भी बहुत कुछ है टीम इंडिया-

आमतौर पर माना जाता है कि टीम इंडिया की बल्लेबाजी उसके टॉप तीन के इर्द-गिर्द घूमती है लेकिन मध्यक्रम में महेंद्र सिंह धोनी और निचले क्रम में हार्दिक पांड्या जैसे खिलाड़ी की मौजूदगी को भला कौन नजरअंदाज कर सकता हैं? सच यह है कि ये खिलाड़ी अकेले दम पर मैच जिताने की काबिलियत रखते हैं। इसके अलावा जसप्रीत बुमराह को भी नहीं भूलना चाहिए जो इस समय सफेद गेंद क्रिकेट के बेस्ट गेंदबाज हैं। भारत ने विश्व कप को ध्यान में रखते हुए ही फिंगर स्पिनरों के बजाए कलाई के जादूगरों पर निवेश किया और उसका नतीजा आज कुलदीप-चहल की जोड़ी के रूप में टीम के पास है। इसके अलावा भारत का इंग्लैंड में सफेद गेंद के खेल में रिकॉर्ड भी अच्छा है। हालांकि गुरुवार से शुरू होने जा रहे क्रिकेट महाकुंभ में ऐतिहासिक तथ्य ज्यादा मायने नहीं रखेंगे।

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अफगानिस्तान, वेस्टइंडीज जैसी टीमों पर हैं खास नजर-

अफगानिस्तान, वेस्टइंडीज जैसी टीमों पर हैं खास नजर-

इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया भी पिछले साल हुए सैंडपेपरगेट कांड से पूरी तरह उभर चुकी है। स्टीव स्मिथ और डेविड वार्नर पहले के जैसे ही शानदार बल्लेबाज दिख रहे हैं और भारत व पाकिस्तान को उनकी ही परिस्थितियों में हराने के बाद उसके हौसले बुलंद हैं। ऐसे में पांच बार की इस विश्व चैंपियन टीम की संभावनाओं को खारिज करना बेतुका ही कहा जाएगा। न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका की टीमें मिली जुली हैं। यदि पिच से तेज गेंदबाजों को फायदा मिलता है तो ये टीमें भी फायदे में रहेंगी। लेकिन असली मजा तो अफगानिस्तान, पाकिस्तान और विस्फोटक लेकिन बुरी तरह अनिरंतरता की शिकार वेस्टइंडीज को देखने में आएगा। खासकर पाकिस्तान और वेस्टइंडीज की टीमें एक ही मैच में अर्श से फर्श पर उठकर अपने खेल का स्तर बदल लेती हैं।

इंग्लैंड के अनिश्चित मौसम में अब शुरू होती है रोमांचक रेस-

बांग्लादेश की टीम बहुदेशीय प्रतियोगिताओं में अच्छे प्रदर्शन के लिए लालायित दिखती है और इंग्लैंड 2017 में हुई चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल में पहुंचना उनको विश्व कप 2019 में भी आत्मविश्वास देगा। जबकि श्रीलंका की टीम को कप की रेस में बने रहने के लिए एवरेस्ट चढ़ने सरीखा प्रयास करना होगा। 1996 विश्व कप की चैंपियन ये टीम इस समय वास्तव में अपने संघर्षपूर्ण दौर से गुजर रही है। दुनिया में किसी भी जगह पर मौसम ऐसा 'खेल' नहीं दिखाता है जैसा कि इंग्लैंड में दिखाता है और इसका सीधा प्रभाव क्रिकेट के गेम पर पड़ता है। यहां पर पिचें सामान्यतः सपाट रहने की उम्मीद है लेकिन सात हफ्ते की तेज धूप इसको भारतीय गर्मियों में तब्दील कर सकती है। लेकिन अगर बादल रहे तो गेंद की स्विंग के साथ बल्लेबाजों और टीमों का भाग्य भी घूमता रहेगा।

Story first published: Wednesday, May 29, 2019, 17:52 [IST]
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