राजनीतिक-सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत जो भुनाई नहीं गई-
दिग्गजों ने कहा है कि दशकों तक यह जीत याद रखी जाएगी और उनका कहना बिना किसी शक के सही है। अब उस जीत के बाद इंग्लैंड की शानदार टीम भारत का दौरा करने आई है। इंग्लैंड भारत के साथ एशेज नहीं खेलता और ना ही एशेज जैसी मैदानी दुश्मनी साझा करता है लेकिन यह दुर्भाग्य ही है कि दोनों देशों के बीच जो बेहतरीन राजनीतिक-सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत मौजूद थी उसको क्रिकेट में प्रतिद्वंदता पर वैसा नहीं भुनाया गया जैसा की एशेज में भुनाया जाता है।
यह कोई छुपी बात नहीं है कि अंग्रेजों ने देश पर लगभग 200 साल राज किया और उनके निशान मौजूद है। भारतीय जनमानस पर इंग्लिश लोग अपना असर छोड़कर गए हैं। इस लंबे ब्रिटिश राज में अंग्रेजों ने अपनी कई कालोनियां भारत में बनाई थी। भारत में क्रिकेट धीरे से सही लेकिन अंग्रेजों के द्वारा फैलता गया।
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1971 से पहले अपनी 'बी' टीम भारत से लड़ाता था इंग्लैंड-
सामाजिक-राजनीतिक नजरिये से शुरुआत में भारतीय ने क्रिकेट को अपने को ऊपर उठाने के खेल के हिसाब से देखा। तब यह कुलीन वर्ग में खेला जाना वाला अभिजात्य खेल था। आप 'लगान' मूवी में इसकी बानगी देख सकते हैं।
क्रिकेट के खालिश नजरिये से भारत का सबसे पहला टेस्ट अंग्रेजों के ही खिलाफ था जो 1932 में खेला गया था और भारत की सबसे पहली टेस्ट जीत भी इंग्लैंड के ही खिलाफ आई थी जो 1951-52 में आई। लेकिन ये ओवल का मैदान था जहां भारत ने इंग्लैंड को 1971 में हराया और टीम की ताकत का लोहा मानना शुरू हो गया। आपको यह बता दें कि इससे पहले इंग्लैंड भारत के खिलाफ अपनी बी टीम ही भेजा करता था। लेकिन अब भारत को अंग्रेजों ने गंभीरता से लेना शुरू कर दिया। यह महान जीत थी और इसकी यही विशेषता थी।
1983 के विश्व कप से आईपीएल तक भारत बन गया सुपरपॉवर-
फिर तो 1976 के बाद से इंग्लैंड के बेस्ट खिलाड़ियों ने खुद को भारत के खिलाफ उपलब्ध कराने की मानसिकता को बाकियों तक पहुंचा दिया। 1983 की विश्व कप जीत भारत को वेस्टइंडीज के खिलाफ मिली लेकिन यह लॉर्ड्स में खेला गया था जिसने फिर से भारतीय क्रिकेट की प्रतिष्ठा को सर्वोच्च सम्मानित मंच से दुनिया तक पहुंचाया। भारत ने 1987 का विश्व कप अपने घर में कराकर इंग्लैंड का इस पर एकाधिकार भी समाप्त कर दिया। यहां से भारत क्रिकेट की बड़ी ताकत बनता गया और अब आईपीएल के उदय के बाद इंग्लैंड की तो छोड़िए विश्व क्रिकेट में भारत से बड़ी कोई ताकत मौजूद नहीं है। अब तो टीम इंडिया का मैदानी प्रदर्शन भी बीसीसीआई की ताकत में चार चांद लगाता है।
भारत-पाक क्रिकेट की गैरमौजूदगी भर सकता है इंग्लैंड-
हम कहना चाहेंगे कि भारत और इंग्लैंड को क्रिकेट के मैदान पर उस खाली स्थान को भरने की जरूरत है जो भारत-पाक क्रिकेट के बंद होने के बाद उभरा है। हां, भारत-ऑस्ट्रेलिया बड़ी प्रतिद्वंदता बन गई है लेकिन यह नहीं भूलें कि इसके पीछे वजह दोनों टीमों के बीच मैदान पर जबरदस्त टक्कर है जिसने क्रिकेट को अगले लेवल पर पहुंचाया है। जबकि इंग्लैंड के साथ तो भारत एक अच्छी खासी प्रतिद्वंदता की विरासत साझा करता है। ठीक ऐसा ही पाकिस्तान के साथ था और ऐसा कोई कारण नहीं दिखता कि इसको मैदान पर भुनाया नहीं जाना चाहिए।
शायद यह सबसे अच्छा समय है जब दोनों टीमों को एक दूसरे के सामने अपना हुनर दिखाने का मौका है क्योंकि दोनों ने ही हाल के वर्षों में जबरदस्त प्रदर्शन किया है। श्रीलंका को हराकर इंग्लैंड ने दिखाया है कि वे भारत की चुनौती के लिए तैयार हैं। अब भारत के पास ईशांत शर्मा और विराट कोहली भी होंगे। घर में हम शेर है हीं और अभी भी बड़े खिलाड़ियों की व्यापक गैरमौजूदगी के बावजूद हमको घरेलू जमीन पर खेलने का फायदा मिलना ही है।
इस बार नए भरोसे के साथ उतर रहा है इंग्लैंड-
पिछली बार इंग्लैंड को भारत में 0-4 से धोया गया था। इस बार देखते हैं क्या होता है पर उससे पहले यह बता दें कि जेम्स एंडरसन, स्टुअर्ट ब्रॉड, वुड, लीच, बेस आदि ने श्रीलंका में सफलता का मजा चख लिया है। रूट ने तो कमाल कर दिखाया है जब तमाम विपरीत चीजों के बीच पहले टेस्ट में दोहरा शतक और दूसरे में बड़ा शतक (186) बनाया गया। उन्होंने कोहली, स्मिथ और विलियमसन को बता दिया है कि फैब फॉर अभी जिंदा है और रहेगा।
यह भी ध्यान देने वाली बात है कि इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज बेन स्टोक्स और जोफ्रा आर्चर के बिना खेली गई और जीती गई। ये दोनों तगड़े खिलाड़ी भारत में मुकाबला करने आ चुके हैं। खासकर स्टोक्स तो किसी भी दिन अड़ने की और चमत्कार करने की क्षमता रखते हैं।
यह सीरीज वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप के बैकड्रॉप में खेली जा रही है जहां भारत नंबर एक पर है। लेकिन इंग्लैंड के पास भी सुनहरा मौका होगा अगर वे यहां जीत पाए तो इस साल के मध्य में चैम्पियनशिप का फाइनल मैच उनका इंताजर करेगा।
जाहिर है भारत अपने जोखिम पर भी विपक्षी को हल्के में लेने की भूल नहीं करेगा।