600 रु के चलते इरफान ने छोड़ा था क्रिकेट
इरफान खान बचपन से ही एक सफल क्रिकेटर बनना चाहते थे, द टेलिग्रॉफ को दिये गये एक इंटरव्यू में उन्होंने खुद ही इस बात का खुलासा किया था। इस दौरान इरफान ने बताया था कि उनका चयन सीके नायडू ट्रॉफी में खेलने के लिये टीम में हो गया था, लेकिन मैच खेलने के लिये उन्हें ट्रैवल करना पड़ता और उसके लिये उन्हें आने-जाने के लिये कम से कम 600 रु की दरकार थी।
इस बारे में बताते हुए इरफान ने कहा था,'मैंने क्रिकेट खेला, मैं क्रिकेटर बनना चाहता था, मैं एक ऑलराउंडर था और जयपुर में अपनी टीम में सबसे छोटा था। मैं क्रिकेट को ही अपना करियर बनाना चाहता था। सीके नायडू टूर्नामेंट के लिए मुझे चुना गया था। उस समय मुझे पैसे की जरुरत थी लेकिन मुझे ये पता नहीं था की ये किससे कहूं। उस दिन मैंने तय किया की मैं ये अब नहीं कर सकता हूं, उस वक्त मैं किसी से 600 रुपये नहीं मांग सका था।'
टेस्ट मैचों में आता था मजा, टी20 था नापसंद
इरफान खान को क्रिकेट में समय के साथ हुए बदलाव के रूप में खेला जाने वाला टी20 प्रारूप बिल्कुल पसंद नहीं था। उन्हें टेस्ट क्रिकेट काफी पसंद था। इस बारे में बात करते हुए इरफान ने टी20 को खेल को बर्बाद करने वाला बताया था।
उन्होंने कहा था,' मेरे लिये क्रिकेट को छोड़ देना एक अच्छा फैसला साबित हुआ। इस खेल में पूरे देश से सिर्फ 11 खिलाड़ी ही खेल सकते हैं, जबकि एक्टिंग में ऐसा कुछ भी नहीं है। यहां पर न तो उम्र की सीमा है और न ही मेहनत की कोई सीमा। आप जितना ज्यादा खुद पर मेहनत करेंगे उतना बेहतर बनेंगे। यहां पर आप खुद के लिये सबसे बड़ा हथियार है और वैसे भी क्रिकेट अब खेल के बजाय समय की बर्बादी बन गया है। टेस्ट क्रिकेट में मैदान पर एक ड्रामा होता था, खेल में आकर्षण बना रहता था लेकिन टी20 के आने के बाद यह खेल बर्बाद हो गया है। अब तक यह खेल मेरी समझ के बाहर का लगता है।'
लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे इऱफान खान
गौरतलब है कि अपने करियर के दौरान पान सिंह तोमर, लंच बॉक्स, लाइफ ऑफ पाई, हिंदी मीडियम जैसी शानदार फिल्में देने वाले इरफान खान काफी समय से कैंसर से जूझ रहे थे। वह इसके इलाज के लिये अमेरिका भी गये थे। लंबे समय से कैंसर के खिलाफ इस लड़ाई में आखिरकार इरफान खान जिंदगी की जंग हार गये और महज 54 साल की उम्र में दुनिया को छोड़कर चले गये।
उनके निधन ने पूरे देश को शोक में डुबा दिया है, उनके जाने की वजह से जो खाली स्थान बन गया है उसे भर पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।