आत्मकथा के नाम पर किताब में कुछ भी लिख देते हैं खिलाड़ी
वहीं अब बेन स्टोक्स के इस दावे पर वेस्टइंडीज के दिग्गज पूर्व खिलाड़ी माइकल होल्डिंग ने भी अपनी प्रतिक्रया दी है और कहा कि आजकल लोग चर्चा में रहने के लिये अपनी किताब में कुछ भी लिख देते हैं।
अपने यूट्यूब चैनल पर बात करते हुए उन्होंने कहा,' इन दिनों किताबों में कुछ भी लिख देते हैं, क्योंकि लोग अपनी राय के साथ बहुत अधिक स्वतंत्र है। जब वे किताबें लिखते हैं, तो उन्हें कई बार सुर्खियां बनाने की जरूरत होती है, लेकिन ईमानदारी से कहू, तो इस खेल को समझने वाले शायद ही इस नतीजे में पहुंचेंगे कि भारत ने जीतने की कोशिश नहीं की थी।'
भारत की कोशिश पर सवाल उठाने वालों को धोनी का दर्द नहीं दिखा
माइकल होल्डिंग ने साफ किया कि भारत पहले ही सेमीफाइनल में जगह बना चुका था लेकिन मैच के दौरान कभी भी नहीं लगा कि वह मैच को जीतना नहीं चाहता है। अगर आप धोनी के दर्द को देखेंगे कि कैसे चोटिल होने के बावजूद वो मैच जीतने के लिये खेल रहे थे तो आप समझ जायेंगे कि यह दावा सिर्फ चर्चा में रहने के लिये किया गया है।
उन्होंने कहा, 'यह वह गेम नहीं था, जिसे भारत को जीतना ही था, लेकिन मुझे नहीं लगता कि कोई भी यह कह सकता है कि खेल को खोने के लिए भारतीय टीम की कोई रणनीति थी। कई लोगो का उस खेल के बाद मानना था कि भारत अपना 100% नहीं लगा रहा हो, लेकिन मैंने महसूस किया कि ऐसा नहीं था। जब एमएस धोनी के चेहरे पर जो दर्द था उसने मुझे बताया कि वह इस मैच को जीतना चाहता था।'
रोहित-कोहली के सवाल पर भी बोले होल्डिंग
बेन स्टोक्स ने अपनी किताब में भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा और कप्तान विराट कोहली की रणनीति पर भी सवाल उठाते हुए लिखा था कि टीम को जब 8 रन प्रति ओवर से रनों की दरकार थी उसके बावजूद यह खिलाड़ी विकेट बचाने की ओर ज्यादा देख रहे थे न कि तेजी से रन बनाने की ओर।
बेन स्टोक्स की इस बात का जवाब देते हुए होल्डिंग ने कहा,' मौजूदा समय में ज्यादातर टीम इसी रणनीति के साथ खेलती है कि अगर विकेट हाथ में रहे तो बाद के ओवरों में भी रन तेजी से बनाये जा सकते हैं। रोहित शर्मा-विराट कोहली ने भी शायद इसी रणनीति के तहत विकेट बचाने का प्रयास किया।'