नई दिल्ली। माैजूदा समय पूरे देश में कोविड का टिका लगवाया जा रहा है ताकिम कोरोना जैसी गंभीर बिमारी से लड़ा जाए, वहीं एक भारतीय क्रिकेटर ऐसा भी है जो वैक्सीन लेने से हिचकचा रहा है। जी हां, हम बात कर रहे हैं मुरली विजय की, जिन्होंने आगामी सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया। मुरली कोविड-19 का टीका लेने से हिचकिचाते हैं और बबल लाइफ से भी नहीं गुजरना चाहते।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने राज्य संघों को आदेश दिया है कि खिलाड़ियों को वैक्सीन दी जाए। बीसीसीआई ने कहा कि एक खिलाड़ी को टूर्नामेंट शुरू होने से पहले एक हफ्ते तक बायो बबल के अंदर रहना चाहिए और जब तक वह टीम का हिस्सा है तब तक बायो बबल में रहेगा। वहीं मुरली विजय इन एसओपी का पालन करने के लिए राजी नहीं है और उन्होंने तमिलनाडु के लिए खेलने से मना किया है।
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एक सूत्र ने कहा, "यह उनका निजी फैसला है। वह वैक्सीन लेने से हिचकिचा रहे हैं। बीसीआई का कहना है कि एक खिलाड़ी को टूर्नामेंट शुरू होने से पहले एक हफ्ते तक बायो बबल के अंदर रहने की जरूरत है और फिर जब तक वह टीम के साथ है। लेकिन विजय इसके लिए बहुत उत्सुक नहीं हैं। इसलिए तमिलनाडु के चयनकर्ताओं ने उन्हें चयन के लिए नहीं रखा।"
सूत्र ने आगे कहा कि तमिलनाडु के चयनकर्ताओं ने चयन बैठक में मुरली विजय के नाम पर चर्चा तक नहीं की। यह कहते हुए कि विजय ने तमिलनाडु की टीम में जगह नहीं बनाई, भले ही वह वैक्सीन लेने के लिए सहमत हो गए हों। सूत्र ने यह कहते हुए निष्कर्ष निकाला कि विजय को अपनी उम्र में एक बार फिर चयन के लिए अपनी फिटनेस साबित करनी होगी। सूत्र के अनुसार, "चयनकर्ताओं ने चयन बैठक में उनके बारे में चर्चा तक नहीं की और उन्होंने घरेलू सत्र से पहले चुने गए संभावितों की तमिलनाडु सूची में भी जगह नहीं बनाई। इसलिए भले ही वह वैक्सीन लेने के लिए तैयार हो और वापसी करना चाहता हो, यह उसके लिए मुश्किल होगा क्योंकि उसे तुरंत नहीं चुना जाएगा। उसे अपनी फिटनेस साबित करनी होगी और तमिलनाडु के लिए फिर से चुने जाने के लिए कुछ मैचों की जरूरत होगी।''