हार का सबसे बड़ा कारण यह था-
शास्त्री का कहना है कि नंबर चार ही भारत के लिए सबसे बड़ी मुसीबत साबित हुआ है। हालांकि विजय शंकर का इस स्लॉट पर चयन एक साफ संकेत था कि भारत अभी भी जुगाड़ के साथ ही इस नंबर को खींच रहा है। लेकिन विश्व कप में जुगाड़ नहीं बल्कि चैंपियन संयोजन काम करता है और यही हुआ भी। जब तक शिखर धवन ओपनिंग में मौजूद रहे तो केएल राहुल ने भी नंबर चार पर अच्छी भूमिका निभाई। धवन के होने तक भारतीय टीम के अंदर चैंपियन वाली बात नजर आ रही थी लेकिन जैसे ही वह बाहर हुए तो अपने साथ दो स्लॉट खाली कर गए। जी हां, उनके स्थान पर ना तो केएल राहुल शीर्ष क्रम में बहुत अच्छा करने के बाद भी धवन जैसी सहजता और अपना स्वभाविक खेल नहीं दिखा पाए। जबकि नंबर चार एक बार फिर से खाली हुआ सो अलग।
शास्त्री- मध्यक्रम में एक ठोस बल्लेबाज की जरूरत
शास्त्री का कहना है कि टीम को मध्यक्रम में एक ठोस बल्लेबाज की जरूरत है। शास्त्री कहते हैं- यह नंबर पिछले कुछ समय से लगातार दिक्कत दे रहा था। राहुल पहले वहां थे लेकिन फिर धवन को चोट लग गई और बाद में विजय शंकर खेले लेकिन उनको भी चोट लग गई। हम इसको नियंत्रित नहीं कर सके।' शास्त्री ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए स्वीकार किया कि नंबर चार ही भारत के विश्व कप से बाहर होने का सबसे अहम कारण बना। बाद में हालत यह हो गई थी कि कभी हमने पंत तो कभी कार्तिक को इस नंबर पर भेजकर प्रयोग करने शुरू कर दिए लेकिन कोई भी प्रयोग सफल साबित नहीं हुआ।
मयंक का इस्तेमाल ही नहीं हो सका-
इस दौरान शास्त्री ने माना कि शंकर के स्थान पर आए मंयक अग्रवाल को ओपनिंग में इस्तेमाल किया जा सकता था और राहुल को नंबर चार पर फिर से भेजा जा सकता था लेकिन जब मयंक आए तब तक भारत के पास खेलने के लिए ज्यादा मैच ही नहीं बचे थे। शास्त्री हालांकि टीम के प्रदर्शन से काफी खुश हैं और उनका मानना है कि 30 मिनट का खेल टीम इंडिया के पिछले कुछ सालों के चैंपियन प्रदर्शन का श्रेय नहीं छीन सकता। शास्त्री ने सेमीफाइनल में हार के बाद खिलाड़ियों से कहा- 'आप लोग अपना सिर ऊंचा करके चलो। एक टूर्नामेंट, एक सीरीज और ये 30 मिनट का खेल सब कुछ तय नहीं कर सकता। आप लोगों ने अपने लिए इज्जत कमाई है। हम लोग परिणाम से निराश हैं लेकिन आपने जो पिछले दो साल में किया उस पर आपको गर्व होना चाहिए। '
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