एक काॅल ने बदला फैसला
सचिन ने खुलासा किया कि उन्होंने 2007 में संन्यास लेने का फैसला ले लिया था कि उस समय विंडीज के दिग्गज क्रिकेटर विवियन रिचर्ड्स के एक काॅल ने उनका ये फैसला बदल दिया। तेंदुलकर ने बताया कि जिस खेल ने उन्हें उनकी जिंदगी के बहुत अच्छे दिन दिखाए वह उन्हें खराब दिन भी दिखा रहा था। साल 2007 वर्ल्ड कप उनके करियर का सबसे खराब दौर था। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि उस समय भारतीय क्रिकेट से जुड़ी जो चीजें हो रही थीं उनमें सब कुछ सही नहीं था। हमें कुछ बदलाव की जरूरत थी और मुझे लगता था कि अगर वे बदलाव नहीं हुए तो मैं क्रिकेट छोड़ देता। मैं क्रिकेट को अलविदा कहने को लेकर 90 प्रतिशत सुनिश्चित था।
45 मिनट तक हुई बात
सचिन ने आगे कहा कि तभी मेरे बड़े भाई ने मुझे हाैंसला दिया। उन्होंने कहा कि अगले विश्व कप का फाइनल मुंबई में खेला जाएगा तो क्या तुम यहां ट्राॅफी उठाना नहीं चाहते। उन्होंने कहा, ''इसके बाद मैं अपने घर चला गया। तभी मुझे सर रिचर्ड्स का फोन आया। हमारे बीच करीब 45 मिनट चक बाद हुई। उन्होंने मुंझे कहा कि अभी आपके अंदर काफी क्रिकेट बचा है। यह वह लम्हा था जिसने मेरे लिए कई चीजें बदल दीं और इसके बाद से मेरा प्रदर्शन काफी बेहतर हो गया। जब आपका हीरो आपको फोन करता है तो यह काफी मायने रखता है।
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रिचर्ड्स को था सचिन की क्षमता पर भरोसा
बता दें कि इस लम्हें का जिक्र जब सचिन ने किया तो उस समय विव रिचर्ड्स भी मौजूद थे। उन्होंने इस बात पर कहा कि मुझे हमेशा से सचिन की क्षमता पर भरोसा था। मुझे सुनील गावस्कर के खिलाफ खेलने का मौका मिला जो मुझे हमेशा से लगता था कि भारतीय बल्लेबाजी के गॉडफादर हैं। इसके बाद सचिन आए, इसके बाद अब विराट कोहली हैं। लेकिन मैं जिस चीज से सबसे हैरान था वह यह थी कि इतना छोटा खिलाड़ी इतना ताकतवर कैसे हो सकता है। बता दें कि सचिन ने 16 की उम्र में डेब्यू किया था।