पुरानी गलतियों से सबक नहीं लिया-
लेकिन न्यूजीलैंड के खिलाफ भारतीय केवल 110 रन ही बना पाए जो दूसरी बल्लेबाजी करने वाली टीम के लिए बहुत ज्यादा आसान थे। यहां पर एक बात देखने लायक है कि दूसरी बैटिंग में ओस गिरती है जो गेंदबाजी का काम थोड़ा मुश्किल कर देती है। लेकिन भारत यहां पर पुरानी गलती से सबक लेता हुआ दिखाई नहीं दिया। भारतीय खिलाड़ियों ने पहले तो आईपीएल में यूएई का माहौल भांपा और फिर पाकिस्तान के खिलाफ भी उनको ओस फैक्टर और पहले बैटिंग करने की चुनौतियां समझ में आई होंगी लेकिन कीवी टीम के खिलाफ इन सब सबक से सीखना तो दूर, भारतीय टीम प्रबंधन नई गलतियां करता दिखाई दिया।
अब भारतीय क्रिकेट टीम के लिए सेमीफाइनल का सफर तय करना बहुत मुश्किल हो गया है और विराट कोहली के सर पर कप्तान के तौर पर एक और आईसीसी खिताब गंवाने की तलवार लटक चुकी है। भारत को ना केवल अपने बाकी बचे तीनों मुकाबले बहुत बड़े रनों के अंतर से जीतने होंगे बल्कि अपने ग्रुप में मौजूद दूसरी टीमों के नतीजों के ऊपर भी निर्भर रहना होगा। कीवी टीम से हार के बाद भारत का नेट रन रेट -1.609 है जबकि न्यूजीलैंड +0.765 का नेट रन रेट बरकरार रखने में कामयाब रही है। अब भारत के अगले तीन मुकाबले अफगानिस्तान स्कॉटलैंड और नामीबिया से हैं और न्यूजीलैंड को भी इन्हीं तीन टीमों से खेलना है।
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नई गलतियां करती दिखाई दी टीम इंडिया-
भारतीय टीम के लिए सबसे अहम यह था कि पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबले में उन्होंने जो गलतियां की उसको न्यूजीलैंड के खिलाफ दोहराना नहीं था। लेकिन टीम इंडिया नई गलतियां भी करती नजर आई। आप देख सकते हैं केएल राहुल को के साथ ईशान किशन को ओपनिंग में उतार दिया गया और रोहित शर्मा को नीचे भेज दिया गया। यह टीम प्रबंधन की ओर से एक बहुत बड़ी चूक दिखाई देती है। यह बात भी ठीक है कि रोहित शर्मा तीसरे ओवर में ही बैटिंग करने आ गए लेकिन एक खिलाड़ी की मानसिकता तब ओपनर वाली नहीं रहती है। इसके बजाय केएल राहुल को नंबर चार पर भेजा जा सकता था जबकि कोहली नंबर 3 पर ही रहते तो बेहतर था।
बैटिंग ऑर्डर पूरा ही बदल दिया गया-
या फिर भारत ऐसा भी कर सकता था कि सूर्यकुमार यादव की जगह पर खिलाए गए ईशान किशन को नंबर चार पर ही खिलाता था और अपने टॉप ऑर्डर के साथ कोई भी छेड़छाड़ ना करता। बैटिंग ऑर्डर के साथ की गई छेड़छाड़ के अलावा भारतीय बल्लेबाजों ने आउट होने के लिए बहुत खराब शॉट खेले। इसके लिए आप दुबई की धीमी पिचों को दोष दे सकते हैं लेकिन यह बहाना भी अब नहीं चलने वाला है क्योंकि भारतीय बल्लेबाज यहां पर पिछले समय से काफी क्रिकेट खेल चुके हैं। इसके अलावा एक और समस्या यह है कि ईशान किशन बल्लेबाजी करने का केवल एक ही तरीका जानते हैं और वह है हवाई शॉट लगाकर अपने रनों की रफ्तार बढ़ाना। यह तरीका हर बार काम नहीं करता है और खासकर जहां करो या मरो का मुकाबला है और आप सूर्यकुमार यादव जैसे कहीं अधिक भरोसेमंद बल्लेबाज की जगह भरने के लिए टीम में आए हैं। किशन को यहां पर थोड़ी जिम्मेदारी दिखानी चाहिए थी।
बल्लेबाज पिच को भांपने में ही ओवर निकाल गए-
पाकिस्तान के खिलाफ हुए मुकाबले में भारतीय टीम ने पावरप्ले में कोई ज्यादा रन नहीं बनाए थे और शुरू के 10 ओवर में भी संघर्ष करते दिखाई दिए थे जहां पर उन्होंने पिच को भांपने में अपना समय लिया। लेकिन जैसे ही आप पिच के बर्ताव को समझने लगते हैं तो पता चलता है कि आपके पास ज्यादा ओवर ही नहीं बचे हैं और बाद में आने वाले बल्लेबाजों पर दबाव बढ़ता जाता है। ऐसे में केवल एक ही विकल्प बचता है कि आप बड़े शॉट खेले जिसका नतीजा यह निकलता है कि कई बार बाउंड्री के आसपास कैच लपका जाता है क्योंकि फील्डर उन्हीं को लेने के लिए तैनात रहते हैं। जब बल्लेबाज स्कोरबोर्ड पर ज्यादा रन नहीं बनाएंगे तो गेंदबाजों से बड़ी उम्मीदें करना बेकार है। उम्मीद करते हैं कि भारतीय टीम अपनी गलतियों से कुछ सबक लेगी और नई गलतियां नहीं करेगी और बाकी बचे हुए विपक्षियों के खिलाफ एक तगड़ा खेल दिखाएगी। इसके बावजूद भी सेमीफाइनल में जाने की बात करना अभी सही नहीं होगा।