दक्षिण अफ्रीका में रोहित को वरीयता
टीम इंडिया के कप्तान विराट और शास्त्री की जोड़ी ने हाल के कुछ विदेशी दौरों में जमकर गलतियां की। इन दौरों पर मिल रही टेस्ट जीत में इनकी ये प्रमुख गलतियां कहीं न कहीं छिप गई। हम आपको बताते हैं इस तथाकथित टीम मैनजेमेंट की इन न भूलने वाली गलतियों की पूरी कहानी। भारतीय टीम ने सबसे पहली गलती दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर की। रहाणे विदेशी धरती पर टेस्ट टीम के बेस्ट बल्लेबाज रहे हैं। उनके स्कोर किए रन इस बात की गवाही देते हैं। केपटाउन टेस्ट में विराट ने आत्मविश्वास और थोड़े से रन की कमी से जूझ रहे रहाणे की जगह रोहित को टीम में मौका दिया। रहाणे इससे पहले दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में 48.59 की औसत से रन बनाते आ रहे थे लेकिन विराट के मुताबिक रोहित का हालिया फॉर्म रहाणे से बेहतर था इसलिए उन्होंने 'हिटमैन' को चुना। रोहित ने इस दौरे पर दो टेस्ट की चार पारियों में 11, 10, 10 और 47 का स्कोर कर पाए जबकि जोहान्सबर्ग टेस्ट (तीसरे) में रहाणे ने असमान उछाल वाली पिच पर कई बार चोट लगने के बावजूद दूसरी पारी में 48 रनों की पारी खेली जो मैच जिताऊ पारी साबित हुई।
भुवनेश्वर के साथ हुई अनदेखी
इसे विराट की मनमानी कहें या कुछ और लेकिन दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर एक नहीं कई गलतियां हुईं। दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर भुवी ने पहले टेस्ट की पहली सुबह,पहले तीन विकेट महज अपने तीन ओवर में निकाल लिए थे। लेकिन विराट और शास्त्री के थिंक टैंक के मुताबिक सेंचुरियन की सूखी घास वाली पिच पर उन्हें टीम में शामिल नहीं किया गया। ईशांत शर्मा को टीम में जगह मिली। विराट ने ईशांत की लंबाई और पिच से असमान उछाल पाने को उन्हें टीम में शामिल किए जाने का बहाना बताया। जसप्रीत बुमराह तब महज एक टेस्ट के अनुभवी गेंदबाज थे और शमी के साथी बने। भारतीय टीम यह मैच हार गई और सीरीज में 0-2 से पिछड़ गई। वांडरर्स टेस्ट में भुवी को टीम में जगह दी गई और भारत की जीत में वो मैच के HERO बन गए। क्या विराट को इन नजदीकी हार के लिए कभी सवाल पूछे गए।
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लॉर्ड्स के ग्रीन टॉप पर दो स्पिनर
45 महीनों में खेले 37 टेस्ट में कोई न कोई बदलाव
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इंग्लैंड में पुजारा को चुनने में हुई देरी
टीम इंडिया ने इसी साल एक बड़ी गलती चेतेश्वर पुजारा के चयन को लेकर की। इंग्लैंड दौरे से पहले पुजारा ने अपनी कमजोरी को सुधारने का प्रयास किया। इस खिलाड़ी ने यॉर्कशायर के साथ काउंटी क्रिकेट खेला लेकिन बड़े स्कोर बनाने में नाकाम पुजारा को प्लेइंग-11 में जगह नहीं मिल सकी। मुरली विजय और लोकेश राहुल ने एसेक्स के खिलाफ वार्मअप मैचों में पचासा जड़ा जिसके दम पर उन्हें टीम में जगह मिली, धवन दोनों पारियों में खाता भी नहीं खोल पाए फिर भी टीम में थे। एजबेस्टन टेस्ट में ये तीनों फेल हुए। पुजारा को इस मैच के बाद टीम में वापस बुलाया गया। ट्रेंटब्रिज में मिली जीत में उन्होंने अर्धशतकीय पारी खेली और सॉउथम्पटन में शतक ठोका, अब वो प्लेइंग एकादश के स्थाई सदस्य हैं वहीं धवन पहले ही टीम से बाहर हो चुके हैं जबकि लोकेश राहुल और मुरली विजय को भी बॉक्सिंग डे टेस्ट से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
पर्थ में 4 पेसर्स पर उठा सवाल
हाल के ऑस्ट्रेलिया दौरे में टीम इंडिया ने पर्थ टेस्ट में भी एक ऐसी ही बड़ी गलती की। टीम इंडिया अपने टेस्ट क्रिकेट इतिहास में महज तीन बार ही बिना किसी स्पेशलिस्ट स्पिनर के साथ कोई टेस्ट खेलने उतरी है। तीन में से दो बार विराट की कप्तानी में यह हुआ है। जोहान्सबर्ग टेस्ट में पांच गेंदबाजों का टीम में शामिल करना भारत के पक्ष में गया था लेकिन पर्थ में परिणाम ठीक इसके उलट हो गया। पर्थ की नई पिच को पढ़ने में कोहली यहां भी मात खा गए। मौसम के मिजाज और पिच के टूटने की वजह से यह पिच स्पिनर के लिए अधिक मददगार साबित हुई। असमान उछाल की वजह से तेज गेंदबाजों को विकेट तो मिले लेकिन इस पिच पर नाथन लियोन मैच के हीरो साबित हुए और 8 विकेट लेकर टीम की जीत में बड़ी भूमिका निभाई और अपनी टीम को सीरीज में 1-1 की बराबरी पर लाकर खड़ा कर दिया।
क्या ढूंढना चाहिए विराट का विकल्प ?
पर्थ टेस्ट में चार पेसर्स के साथ खेलने और हारने के बाद रविंद्र जडेजा के फिटनेस से जुड़ा एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें रवि शास्त्री और विराट कोहली की अलग-अलग राय है। शास्त्री के मुताबिक जब जडेजा ऑस्ट्रेलियाई दौरे के लिए टीम में शामिल जडेजा उस समय 70% फिट थे तो सवाल यह उठता है कि आखिर एक हाफ फिट खिलाड़ी को मैनेजमेंट ने टीम में क्यों जगह दी ? वहीं विराट ने उमेश का बचाव किया और जडेजा के फिटनेस पर अभी नहीं बोले हैं। शास्त्री ने वहीं यह भी कहा था कि जडेजा अगर बॉक्सिंग डे टेस्ट में 80 फीसदी भी फिट होंगे तो टीम में होंगे तो क्या जडेजा 24 घंटे के भीतर 100 फीसदी फिट हो गए या टीम इंडिया अपनी हार को छुपाने का रोज नया बहाना ढूंढती है। एक पाठक और प्रशसंक के तौर पर आप तय करिए कि क्या गावस्कर की बात सही है। क्या टेस्ट में कप्तान विराट की गलतियों को इसी तरह नजरअंदाज किया जाएगा या फिर उनसे अलग एक विकल्प की तलाश आवश्यकता है जो टीम को सिर्फ मैच नहीं बल्कि मौजूदा टीम के साथ सीरीज जीत दिला सके। क्या टीम इंडिया के इन तमाम मैचों में मिली हार के लिए विराट के साथ शास्त्री भी उतने ही जिम्मेदार नहीं हैं। आप अपनी राय प्रतिक्रिया के माध्यम से दीजिए।
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