सोनीपत : खेल जगत उस समय हैरान रह गया जब खबर उड़ी कि हरियाणा के सोनीपत में राष्ट्रीय स्तर की महिला रेसलर निशा दहिया की अज्ञात हमलावरों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी। खबर के अनुसार, हमलावरों ने निशा के भाई और मां पर भी गोलियां चलाई, जिसमें उनके भाई ने दम तोड़ दिया तो वहीं मां को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया है। हालांकि यह खबर झूठी है।
पहलवान निशा दहिया ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो जारी किया और कहा कि अज्ञात हमलावरों द्वारा उनकी और उनके भाई की गोली मारकर हत्या की खबर फर्जी खबर थी। वीडियो में निशा दहिया ने अपना परिचय दिया और कहा कि वह गोंडा में सीनियर नेशनल खेलने आई है और उसकी गोली मारकर माैत की खबर फर्जी है।
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निशा दहिया ने 2014 में श्रीनगर में कैडेट राष्ट्रीय चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था। उनका पहला अंतरराष्ट्रीय मेडल 2014 में आया था जब उन्होंने एशियाई चैंपियनशिप से 49 किग्रा वर्ग में ब्राॅन्ज मेडल के साथ वापसी की थी। उन्होंने अगले साल 60 किग्रा वर्ग में सिल्वर मेडल जीता, फिर 2015 में राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भी ब्राॅन्ज जीता था। ब्राॅन्ज जीतने के बाद, वह 2016 में विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी द्वारा बैन की गई। इसके बाद, पहलवान को चार साल के प्रतिबंध का सामना करना पड़ा।
2015 में राष्ट्रीय चैंपियनशिप में ब्राॅन्ज मेडल जीतने के बाद उन्हें रेलवे में नौकरी मिलने वाली थी, लेकिन डोपिंग प्रतिबंध के कारण मौका हाथ से निकल गया। हालांकि, अक्तूबर में अंडर-23 राष्ट्रीय चैंपियनशिप और जालंधर में 65 किग्रा में गोल्ड मेडल जीतने के बाद निशा दहिया ने 2019 में वापसी की। प्रतिबंध की अवधि के दौरान, निशा ने खेल छोड़ने के बारे में सोचा और धीरे-धीरे अपने करीबी दोस्तों को उसे छोड़ दिया। रियो ओलंपिक की ब्राॅन्ज मेडल विजेता साक्षी मलिक ने प्रतिबंध के दौरान उनका समर्थन किया। वह रोहतक में साक्षी के साथ प्रशिक्षण लेने में सक्षम थी और यहां तक कि साक्षी के साथ राष्ट्रीय शिविरों में भी भाग लिया।
ये भी हैं निशा की उपलब्धियां-
-13 बार भारत केसरी रहे चुकी हैं।
- दो बार सीनियर नेशनल, दो बार जूनियर नेशनल व दो बार अंडर 23 नेशनल में जीत हासिल करते हुए नेशनल रेसलिग प्रतियोगिता में 6 गोल्ड मेडल जीते।
- आल इंडिया यूनिवर्सिटी में दो गोल्ड व जूनियर एशिया में ब्राॅन्ज व सिल्वर मेडल जीता।