पिता करते थे प्रेस और ड्राईक्लीन की दुकान
भारतीय मलखंभ महासंघ के अध्यक्ष डॉ। रमेश हिंडोलिया ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि महासंघ की ओर से भी केवल योगेश मालवीय का नाम ही भेजा गया था। उन्होंने बताया कि देश में मलखंभ के लिए यह पहला द्रोणाचार्य अवार्ड होगा। किसी भी खेल में प्रशिक्षक के रूप में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए द्रोणाचार्य अवार्ड दिया जाता है।
योगेश के पिता महाकाल मंदिर के पास ही प्रेस और ड्राईक्लीन की दुकान चलाते थे। आर्थिक संकट के कारण योगेश बचपन से ही पिता की दुकान संभालने लग गए थे। धोबी घाट पर कपड़े धोने और प्रेस करने के साथ ही उन्होंने अपना मलखंभ का अभ्यास भी जारी रखा। साल 2006 में महाकाल क्षेत्र में ही उन्होंने पिता के साथ भक्ति भंडार की दुकान खोली और प्रशिक्षण देने के बाद यहां माला बेचने का काम भी किया।
देश को किया गौरवान्वित, मिल चुके हैं कई अवार्ड
योगेश मालवीय मलखंभ प्रशिक्षक के रूप में देशभर में जाने जाते हैं। 2006 में शाजापुर में खेल एवं युवक कल्याण विभाग में उनकी मलखंभ डिस्ट्रिक्ट कोच के रूप में नियुक्ति हुई। 2012 में मलखंभ प्रशिक्षक के रूप में ही उन्हें राज्य शासन की ओर से विश्वामित्र अवार्ड से नवाजा गया। 2010 में भोपाल में लाल परेड मैदान पर हुए मलखंभ के प्रदर्शन में भी योगेश को शासन की ओर से प्रथम पुरस्कार दिया गया। 2018 में राजपथ पर भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा शामिल की गई मलखंभ की झांकी में भी उन्हें प्रथम पुरस्कार मिला।
योगेश खुद ही नहीं उनके शिष्यों ने भी किया कमाल
योगेश खुद ही नहीं अपितु उनके शिष्यों ने भी मलखंभ में कमाल किया है और कई अवार्ड जीत चुके हैं। उनके शिष्य पंकज सोनी और चंद्रशेखर चैहान को साल 2014 में विक्रम अवार्ड, तरुणा चावरे को 2018 में विश्वामित्र अवार्ड मिल चुका है। उनके शिष्य मप्र के एकमात्र खिलाड़ी हैं, जिन्होंने मलखंभ में रोप, पोल व हैंगिंग मलखंभ में स्वर्ण पदक हासिल किए। योगेश व उनके शिष्य 15 से अधिक टीवी रियलिटी शो में भी पूरी दुनिया में मलखंभ का पताका फहरा चुके हैं। सोनी टीवी पर इंटरटेनमेंट के लिए कुछ भी करेगा शो में वह पांच बार वीकली विनर रहे। इंडियाज गॉट टैलेंट में भी वे और उनकी टीम फर्स्ट रनर अप रह चुकी है।