इंग्लैंड दौरे पर भारत की ताकत बनेंगे यह खिलाड़ी
अक्षर पटेल का मानना है कि इंग्लैंड दौरे पर भारतीय टीम में ऐसे हरफनमौला खिलाड़ियों का शामिल होना जो कि स्पिन गेंदबाजी के साथ-साथ अच्छी बल्लेबाजी कर सकते हैं बड़ा अंतर पैदा करने में कामयाब होंगे। भारतीय टीम में रविचंद्रन अश्विन, रविंद्र जडेजा, अक्षर पटेल और वाशिंगटन सुंदर कुछ इसी श्रेणी के बल्लेबाज हैं जो गेंद को स्पिन कराने के साथ-साथ अच्छी बल्लेबाजी कर सकते हैं और पहले भी टीम को मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकालने का कारनामा कर चुके हैं। अक्षर पटेल का मानना है कि ऐसे खिलाड़ी भारतीय टीम का मुख्य हथियार साबित हो सकते हैं।
इंडिया टीवी को दिये एक इंटरव्यू में अक्षर पटेल ने कहा,'आप विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप और इंग्लैंड दौरे पर जा रही भारतीय पर नजर डालेंगे तो पता चलेगा कि टीम में अश्विन, जडेजा, वाशिंगटन सुंदर और मैं खुद हूं जो कि स्पिनर्स होने के साथ-साथ बल्लेबाजी भी कर सकते हैं। यह वो ताकत है जो इंग्लैंड में हमारे लिये फायदेमंद साबित हो सकती है। अगर आपकी टीम के पास ऐसा बल्लेबाजी क्रम हो जहां पर 8 और 9 नंबर तक बल्लेबाजी करने वाले खिलाड़ी हों तो आप किसी भी टीम को हराने में सक्षम होते हैं।'
इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया में बदल जाती है रणनीति
अक्षर पटेल ने इस इंटरव्यू के दौरान यह भी कहा कि भले ही स्लो पेसर्स अपना जलवा बिखेर रहे हों लेकिन इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की पिचों पर स्पिनर्स अहम भूमिका निभाते हैं और मैच विनिंग स्पेल डालते हैं।
उन्होंने कहा, 'जब आप भारतीय पिचों पर खेलते हैं तो स्लो और मीडियम पेसर्स अटैक करते हुए नजर आते हैं लेकिन जब आप ऑस्ट्रेलियाई और इंग्लिश पिचों पर खेलते हैं तो तेज गेंदबाजों के साथ-साथ स्पिनर्स भी काफी महत्वपूर्ण हो जाते हैं। स्पिनर्स का काम होता है कि वो रनों की गति पर रोक लगाकर दबाव बनायें जिसका फायदा पेसर्स या वो खुद उठायें। सेना देशों में आपको एक यूनिट के तौर पर बेहतर करना होता है तभी आप कामयाब हो सकते हैं।'
ड्यूक बॉल से नहीं पड़ेगा कुछ खास फर्क
भारतीय पिचों पर एसजी गेंदों से खेलने वाली विराट सेना को इंंग्लैंड दौरे पर ड्यूक बॉल से खेलना होगा, इसको लेकर जब अक्षर पटेल से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि इससे गेंदबाजों की ही ज्यादा मदद मिलती है और कुछ खास फर्क नहीं पड़ता है।
उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि ड्यूक बॉल से बॉलर्स को ज्यादा मदद मिलती है तो वहीं पर इंग्लैंड की परिस्थितियां भी गेंदबाजों के लिये बेहतर होती हैं क्योंकि यहां पर सीम ज्यादा साफ नजर आती है जिससे गेंदबाजों को अधिक सीम मिलती है। इस पर बहुत ज्यादा सोचने के लिये कुछ नहीं है। यह पिंक बॉल टेस्ट की तरह ही है। आपको बस गेंद के साथ तालमेल बिठाना होता है। यह बस दिमाग का खेल है, अगर आप अच्छी लय में हैं तो गेंद ज्यादा मायने नहीं रखती, जाहिर है कुछ बदलाव करना होता है लेकिन वो तकनीकी रूप से ज्यादा मानसिक होता है।'