मलान ने नहीं पकड़ा था क्लीन कैच
भारतीय टीम के लिये सूर्यकुमार यादव एक बड़ी पारी खेलने के मूड में नजर आ रहे थे लेकिन 14वें ओवर में कुछ ऐसा हुआ जिसने विवादों को जन्म दे दिया। सैम कर्रन के इस ओवर में सूर्यकुमार ने दूसरी गेंद पर फाइन लेग के ऊपर से शॉट खेलने की कोशिश की, जिसे वहां मौजूद डेविड मलान ने पकड़ने का काम किया। हालांकि यह कैच क्लीन नहीं था जिसके चलते आखिरी फैसला थर्ड अंपायर को दिया गया। लेकिन तीसरे अंपायर के फैसला करने से पहले मैदानी अंपायर ने सॉफ्ट सिग्नल में इसे आउट करार दिया।
डेविड मलान के इस कैच को देखने पर रिप्ले में पता लगा कि गेंद उनके हाथ से छिटक कर मैदान पर लगी है लेकिन अंपायर के पास कन्कलूसिव एविडेंस न होने की वजह से थर्ड अंपायर फैसले को बदल नहीं सके और सूर्यकुमार को आउट दिया गया।
बाउंड्री से टच हो रहा था राशिद का पैर
ऐसा ही कुछ आखिरी ओवर में वाशिंगटन सुंदर के साथ भी देखने को मिला। जोफ्रा आर्चर की चौथी गेंद पर वाशिंगटन सुंंदर ने अपर कट शॉट खेला और गेंद को आदिल राशिद ने बाउंडई लाइन पर पकड़ा, यहां पर एक बार फिर डिसीजन के लिये तीसरे अंपायर के पास जाना पड़ा लेकिन सॉफ्ट सिग्नल के तौर पर आउट दिया गया। रिप्ले में देखने पर पता चला कि जब आदिल राशिद ने कैच को पकड़ा तो उनका एक पैर बाउंड्री से टच हो रहा था लेकिन कन्कलूसिव एविडेंस न होने के चलते फैसला एक बार फिर से सॉफ्ट सिग्नल के फैसले में गया।
कटघरे में सॉफ्ट सिग्नल का नियम
ऐसे में मोटेरा के मैदान पर सॉफ्ट सिग्नल भारतीय टीम के लिये विलेन साबित हुए, जहां पहले फॉर्म में दिख रहे सूर्यकुमार यादव का विकेट भारत को गंवाना पड़ा तो वहीं पर वाशिंगटन सुंदर का वो शॉट भारत के खाते में 6 रन जुड़ सकते थे। ऐसे में क्रिकेट जगत में सॉफ्ट सिग्नल को लेकर एक बार फिर से बहस छिड़ गई है कि क्या 30 यार्ड के बाहर मैदानी अंपायर को सॉफ्ट सिग्नल देना चाहिये या फिर जब तकनीक मौजूद है तो सॉफ्ट सिग्नल को लेकर इतनी बहस करना बेबुनियाद है। खैर यह देखने वाला होगा कि भारतीय टीम को इसका कितना खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।