7वीं पारी में 5वीं बार झटके 5 विकेट
भारतीय टीम के लिये इस साल इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू करने वाले अक्षर पटेल ने टेस्ट क्रिकेट में शानदार आगाज किया है और महज 4 मैचों की 7 पारियों में अब तक 32 विकेट चटका चुके हैं। अक्षर पटेल के लिये यह टेस्ट क्रिकेट में 5वीं बार 5 विकेट हॉल चटकाने का मामला है। अक्षर पटेल ने जब से डेब्यू किया है तब से टेस्ट क्रिकेट को आसान सा खेल बना दिया है, जिसमें उन्होंने 10.87 की औसत और 20.3 की स्ट्राइक रेट से विकेट हासिल किये हैं।
कानपुर में खेले जा रहे मैच में भी उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए 62 रन देकर 5 विकेट हासिल किये। अपनी गेंदबाजी के दौरान अक्षर पटेल ने रोस टेलर, हेनरी निकोल्स, टॉम लैथम, टॉम ब्लंडेल और टिम साउथी का विकेट चटकाया।
करियर को मिली है ड्रीम स्टार्ट
तीसरे दिन का खेल खत्म होने के बाद जब प्रसारणकर्ताओं ने अक्षर पटेल से बात करते हुए पूछा कि टेस्ट क्रिकेट को सबसे मुश्किल प्रारूप माना जाता है, ऐसे में जब से उन्होंने डेब्यू किया है और जिस तरह से विकेट चटकाते चले जा रहे हैं खेल काफी आसान नजर आने लगा है। क्या यह सच में इतना आसान है।
इसके जवाब में अक्षर पटेल ने कहा,'यह एक ड्रीम स्टार्ट की तरह है, या यूं कहें कि सपने के अंदर सपनों भरी शुरुआत की तरह है। टेस्ट क्रिकेट आसान नहीं है। हमारे लिये काफी मुश्किल भरा दिन था कल जब उनका एक भी विकेट नहीं गिर रहा था और सिर्फ यही बात कही जा रही थी कि गेंद को टाइट रखिये। हर गेंद पर विकेट देखने के लिये मत जाइये।'
कैसे मिल रही है गेंदबाजी में इतनी कामयाबी
इसके साथ ही जब अक्षर पटेल से पूछा गया कि वो हर मैच में इतने विकेट कैसे निकाल रहे हैं और इस मैच में भी कितनी आसानी से कैसे विकेट हासिल करने में कामयाब हुए तो उन्होंने कहा कि मैंने क्रीज का ज्यादा इस्तेमाल किया जिससे रोस टेलर और टॉम लैथम का विकेट लेने में कामयाबी मिली। अक्षर ने आगे बात करते हुए बताया कि वह अपने राउंड आर्म एक्शन के साथ टिके रहे जिसका फायदा उन्हें मिला। उल्लेखनीय है कि अक्षर पटेल ने अपनी गेंदबाजी में 70 प्रतिशतगेंदबाजी गुड लेंथ पर की और 40 प्रतिशत को स्टंप्स पर डाला।
उन्होंने कहा,' आपको टेस्ट क्रिकेट में संयम रखने की जरूरत है। मैं अपने बेसिक्स पर टिका हुआ था और क्रीज का इस्तेमाल ज्यादा कर रहा था। मेरी राउंड आर्म गेंदों को थोड़ी सी मदद मिल रही थी और मैं उसी का फायदा उठा रहा था। मैंने उसी पर ध्यान लगाया और यह मेरे लिये काम कर गया। पिच धीमा होता जा रहा था और टर्न ज्यादा मिल रही थी। पिच में उछाल भी अलग होती जा रही है, इसके बावजूद मुझे लगता है कि अगर बल्लेबाज खुद को समय दे तो रन बना सकता है।'