नई दिल्ली। पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और कॉमेंटेटर रमीज राजा अक्सर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की नीतियों की आलोचना करते हुए नजर आते हैं, इस दौरान वो टीम मैनेजमेंट पर अपनी बेबाक राय देने में भी पीछे नहीं हटते हैं। हाल ही में पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की ओर से इंग्लैंड और वेस्टइंडीज दौरे के लिये चुनी गई टीम का ऐलान किया गया जिसको लेकर रमीज राजा खुश नजर नहीं आ रहे हैं। पूर्व कप्तान ने टीम सेलेक्शन को लेकर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड पर सवाल उठाने का काम किया और पीसीबी की नीतियों की भी आलोचना की।
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रमीज राज ने पाकिस्तान क्रिकेट टीम के चयन को लेकर कहा कि चयनकर्ताओं की सोच उनकी समझ से परे है, जो कि टीम का भविष्य ध्यान में रखते हुए कई अनकैप्ड खिलाड़ियों को टीम में शामिल तो कर रहे हैं लेकिन जब आप दौरे पर होते हैं तो इन खिलाड़ियों को खेलने का मौका भी नहीं दिया जाता।
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पुराने खिलाड़ियों के पीछे भागता है पीसीबी
अपने यूट्यूब चैनल पर बात करते रमीज राजा ने कहा,'मुझे अभी पाकिस्तान क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों की स्लॉटिंग और सेलेक्शन का कुछ भी समझ नहीं आ रहा है क्योंकि आप एक ऐसी टीम का ऐलान करते है जिसमें कई सारे नये खिलाड़ियों को शामिल करते हैं जिसके लिये उनकी तारीफ भी होती है लेकिन फिर आप उन्हें पूरे दौरे पर खेलने का मौका भी नहीं देते हो। यह तो वैसी ही बात हुई कि आप किसी को दूल्हे की तरह सजाते हैं और बारात लेकर जाते हैं लेकिन उसकी बिना शादी कराये वापस ले आते हैं। इसके बाद आप उन खिलाड़ियों की ओर देखते हैं जिन्हें आपने काफी समय से मौका नहीं दिया है और फिर न सिर्फ वो टीम में वापसी करते हैं बल्कि अनकैप्ड खिलाड़ियों से पहले मौका दिया जाता है।'
पीसीबी को नहीं है टैलेंट की पहचान
गौरतलब है कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने शुक्रवार को इंग्लैंड और वेस्टइंडीज दोरे को लेकर तीनों प्रारूपों की टीम का ऐलान किया है जिसमें पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर मोईन खान के बेटे आजम खान को भी जगह दी गई है। आजम खान ने पिछले एक साल में अपना 30 किलो वजन घटाने का काम किया है और फिटनेस को बेहतरीन कर टीम में जगह बनाई है।
अपने वीडियो में रमीज राजा ने जिम्बाब्वे के खिलाफ 36 साल की उम्र में डेब्यू करने वाले ताबिश खान को लेकर भी बात की और कहा कि पीसीबी की ऐसी गलत नीतियों के चलते खिलाड़ियों को अपना टैलेंट दिखाने में इतनी देर हो जाती है।
अपने ही डिसीजन को लेकर कन्फ्यूज रहती है पीसीबी
उन्होंने कहा, 'आप सलमान अली जैसे खिलाड़ी को टेस्ट टीम का हिस्सा बनाते हैं लेकिन उन्हें मौका वनडे प्रारूप में मिलता है, इसका मतलब है कि आपको अपने ही निर्णय पर भरोसा नहीं कि किस प्रारूप के लिये आपका सेलेक्शन सही था। आपको खुद नहीं पता कि खिलाड़ी में कितनी काबिलियत है। इसी वजह से आप प्लेयर को 36 या 38 साल की उम्र में डेब्यू कराते हैं वो भी जिम्बाब्वे जैसी टीम के खिलाफ लेकिन आप 22 साल के युवा को मौका नहीं देते हैं। मैंने ऐसा कुछ दुनिया में कहीं भी होते हुए नहीं देखा है। इतना ही नहीं इसके बाद आप उन्हें फ्री कर देते हैं, यह उनके लिये एक वो मैच था जिसमें आप उन्हें टेस्ट कैप देते हैं और फिर छोड़ देते हैं। मतलब कि यह किस तरह की सोच है और इसमें क्या लॉजिक है।'