जय शाह को लेकर खुलकर बोले गांगुली-
गांगुली ने कहा कि वह इस बात से निराश हैं कि "शक्तिशाली लोगों" के बेटों और बेटियों को उनके काम की वजह से पहचान नहीं दी जाती है।
गांगुली ने इसके लिए महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर का भी उदाहरण दिया।
ब्रायन लारा ने बताया, उनके ही दो वर्ल्ड रिकॉर्ड कैसे बने थे करियर में निराशा की वजह
बता दें कि सीओए के कार्यकाल की समाप्ति के बाद गांगुली ने नए बीसीसीआई अध्यक्ष के तौर पर तो जय शाह ने नए बीसीसीआई सचिव के रूप में कार्यभाल संभाला है । पूर्व BCCI अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के भाई अरुण सिंह धूमल को BCCI का नया कोषाध्यक्ष और केरल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष जयेश जॉर्ज को संयुक्त सचिव चुना गया। जबकि उत्तराखंड के माहिम वर्मा नए उपाध्यक्ष बने।
'पॉवरपुल लोगों का बेटा होना कसूर बन जाता है'
गांगुली ने कहा, "आप जानते हैं कि हमारे पास भारत में यह बहुत बड़ी बात है कि यदि आप एक बहुत शक्तिशाली व्यक्ति के पुत्र या पुत्री हैं, तो आप काम में शामिल नहीं हो सकते हैं। यदि आप सचिन को देखें जो वास्तव में लोगों से कह रहे थे कि अर्जुन को मेरे बेटे के रूप में देखने की जगह पर सिर्फ एक क्रिकेटर के तौर पर देखें।
गांगुली ने आगे कहा, "तेंदुलकर के बेटे को खेलने से क्यों रोका जाना चाहिए क्योंकि वह तेंदुलकर का बेटा है। यह ऑस्ट्रेलिया में नहीं होता है, इंग्लैंड में नहीं होता है।
"मार्क वॉ, स्टीव वॉ ऑस्ट्रेलिया में खेले। वे भाई थे और दोनों 100 टेस्ट खेलने गए थे। टॉम कुरेन और सैम कुरेन इंग्लैंड के लिए खेल रहे हैं।
"मैं इसे एक मुद्दे के रूप में देखता हूं। प्रत्येक व्यक्ति को व्यक्तियों के रूप में आंका जाना है।"
गांगुली ने अपना बेटा ना होने पर मनाया शुक्र-
इतना ही नहीं, गांगुली ने यह भी कहा कि सौभाग्य से उनका कोई बेटा नहीं हैं। उन्होंने ऐतराज जताया कि यदि कल राहुल द्रविड़ के बेटे क्रिकेट खेलना चाहते हैं तो लोग उनको द्रविड़ के बेटे के तौर पर जानेंगे। गांगुली ने आगे कहा कि द्रविड़ के बेटे लगातार KSCA लीग में सैकड़ों स्कोर करते हैं। और यदि वे अच्छे हैं तो उन्हें भारत के लिए खेलना चाहिए।
बुमराह पर रज्जाक के बयान के बाद इरफान ने उड़ाई पाकिस्तानियों के बड़बोलेपन की 'गिल्लियां'
गांगुली ने आगे कहा, "मैं जय शाह के लिए भी यही बात कहना चाहता हूं। तो क्या हुआ अगर वह अमित शाह के बेटे हैं? उन्होंने एक चुनाव जीता है। वह पिछले 6-7 वर्षों से गुजरात क्रिकेट संघ में शामिल हैं। उन्हें अपना काम करने अनुमति दी जानी चाहिए। उनके पिता एक राजनीतिज्ञ हैं। वह नहीं हैं। मुझे लगता है कि उन्हें स्वतंत्र रूप से जज करना चाहिए।
इस बीच गांगुली ने यह भी बताया है कि जय शाह के साथ उनके रिश्ते कैसे हैं। गांगुली ने कहा, "मुझे उनके साथ काम करते हुए अभी एक महीना हुआ है। वह तालमेल बैठाने वाले इंसान हैं, वह शानदार हैं, वह भारतीय क्रिकेट की भलाई के लिए काम करना चाहते हैं।"
इस बीच, सौरव गांगुली ने कहा कि राजनेता हमेशा बीसीसीआई में प्रशासनिक भूमिकाओं में रहे हैं और उनमें से कुछ लोग बोर्ड में इसलिए आए क्योंकि वे इस खेल से प्यार करते हैं और इसके प्रति जुनूनी हैं।
'कोहली, ईशांत से पूछो जेटली ने उनके लिए क्या किया'
उन्होंने कहा कि जब डालमिया बोर्ड के अध्यक्ष थे तब अरुण जेटली खेल के संचालन में शामिल थे। शरद पवार भी थे, माधवराव सिंधिया भी खेल को चलाने में शामिल थे।
पाकिस्तान की U-19 WC टीम में नशीम शाह की एंट्री, जूनियर टीम में टेस्ट प्लेयर लेने पर उठा सवाल
गांगुली ने प्रभावशाली लोगों के क्रिकेट में दखल देने पर कहा, "मुझे नहीं लगता कि यह पहली बार है और यह आखिरी बार प्रभावशाली लोग खेल चला रहे होंगे। क्योंकि क्रिकेट इस देश में बहुत बड़ा है। दुनिया के इस हिस्से में क्रिकेट को कोई नहीं पछाड़ सकता है। गांगुली ने कहा कि दृष्टिकोण से यह खेल प्रभावशाली लोगों को आकर्षित करेगा ही।
गांगुली ने माना कि कई ऐसे लोग हुए जिनके पास तमाम तरह की पॉवर थी लेकिन उन्होंने फिर भी बोर्ड में बड़ा पद हासिल नहीं किया और केवल खेल से प्यार होने के कारण प्रशासन में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने अरुण जेटली का उदाहरण देते हुए कहा, "अरुण जेटली के पास बोर्ड में कुछ भी बनने की शक्ति थी, लेकिन उन्होंने कभी ऐसा नहीं किया।" गांगुली ने कहा, "खेल के प्रति जुनूनी था। उन्होंने दिल्ली में क्रिकेटरों के लिए बहुत कुछ किया है जिसके बारे में आप विराट, ईशांत से पूछते हैं तब आपको केवल उनकी तारीफ सुनने के लिए मिलेगी।