नई दिल्ली। कजाकिस्तान में जारी विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में भारत ने अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। भारत ने इस प्रतियोगिता में पहली बार 5 पदक जीतने का कारनामा किया है। रविवार को विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप के आखिरी दिन दीपक पुनिया (86 किग्रा) और राहुल बालासाहेब अवारे (61 किग्रा) ने अपने-अपने भार वर्ग में क्रमश : रजत और कांस्य पदक जीता जिसके साथ भारत ने पहली बार पांच पदक (एक रजत और चार कांस्य पदक) के साथ समाप्त किया। इसके साथ ही 4 भारतीय पहलवानों ने टोक्यो ओलंपिक-2020 में अपनी जगह भी पक्की कर ली। विश्व कुश्ती चैंपियनशिप के इतिहास में भारत का यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। भारत ने इससे पहले 2013 में तीन पदक जीते थे।
भारत को 18 साल बाद जूनियर विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक दिलाने वाले युवा पहलवान दीपक स्वर्ण पदकों की 'गोल्डन हैट्रिक' के लिए पूरी तरह से तैयार थे, लेकिन चोट के कारण उन्हें फाइनल से हटना पड़ा और उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा।
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राहुल को सेमीफाइनल में जॉर्जिया के बेका लोमाटड्जे से 6-10 से हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद उन्हें कांस्य पदक मुकाबले के लिए उतरा पड़ा, जहां उन्होंने शानदार जीत हासिल करके कांस्य पदक अपने नाम कर लिया।
वहीं, राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता राहुल ने कांस्य पदक मुकाबले में 2017 के पैन अमेरिकी चैंपियन टाइलर ली अमेरिका के टेलर ली ग्राफ को 11-4 से शिकस्त दी। कांस्य पदक जीतने के बावजूद राहुल टोक्यो ओलंपिक-2020 में खेलने नहीं जा पाएंगे क्योंकि राहुल का 61 किग्रा भार वर्ग ओलंपिक कोटा नहीं है।
राहुल ने इससे पहले अपने करियर में 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण और 2009 तथा 2011 के एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीते थे। 20 साल के दीपक अगर फाइनल में स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब होते तो वह दो बार ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार के बाद विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप के इतिहास में स्वर्ण जीतने वाले दूसरे भारतीय पहलवान बन जाते।
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सुशील (66 किग्रा) 2010 में मॉस्को में रूस के एलन गोगाऐय को हराकर स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने थे। उन्होंने इसके अलावा दो बार ओलंपिक में भी पदक जीते है। सुशील को हालांकि यहां अपने पहले ही राउंड में हार का सामना करना पड़ा था। सुशील ने बीजिंग ओलंपिक में कांस्य और लंदन ओलंपिक में रजत पदक जीता था।
भारत ने विश्व चैम्पियनशिप में अब तक कुल एक स्वर्ण, तीन रजत और छह कांस्य जीते हैं। सुशील के अलावा बिसंभर सिंह ने 1967 में नई दिल्ली में रजत, अनिल कुमार दहिया ने 2010 में रजत, बजरंग पुनिया ने 2018 में बुडापेस्ट में रजत पदक जीता था।
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इसके अलावा उदय चंद 1961 में योकोहामा में कांस्य, बजरंग 2013 में बुडापेस्ट में कांस्य, रमेश कुमार 2009 में हेरनिंग में कांस्य, नरसिंह पंचम यादव 2015 में लॉस वेगास में कांस्य, रवि कुमार दहिया 2019 में नूर सुल्तान में कांस्य और बजरंग 2019 में नूर सुल्तान में कांस्य पदक हासिल कर चुके हैं। बजरंग एकमात्र ऐसे भारतीय पहलवान हैं, जिन्होंने तीन बार विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीता है। वह एक बार रजत और दो बार कांस्य जीत चुके हैं।