नई दिल्ली। देश में खेल को बढ़ावा देने के लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकार हर कोई कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही हैं लेकिन ये सब कदम तब फींके पड़ जाते हैं जब पूर्व खिलाड़ियों की माली हालत सबके सामने आती है।
अभी कुछ समय पहले साउथ एशियाई खेलों में भारत को गोल्ड मेडल दिलवाने वाले बॉक्सर कौर सिंह की खबर आई थी कि वे जिंदगी मौत से जूझ रहे हैं और उन्हें मदद के लिए लोन से लेकर कई मिन्नतें करनी पड़ी थीं।
हालांकि बाद में खेल मंत्रालय ने इस पर संज्ञान लिया और इलाज की व्यवस्था हुई। लेकिन कौर सिंह इकलौते नहीं हैं जिन्हें सरकारों ने बेगाना कर दिया बल्कि कई ऐसे पूर्व खिलाड़ी हैं जो आज भी रोज मर्रा की जिंदगी जीने के लिए हर रोज कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
भारत के लिए कई पदक जीतने वाले बॉक्सर लक्खा सिंह भी एक ऐसा नाम है जो पेट भरने के लिए किराए की टैक्सी चला रहे हैं। लक्खा सिंह की माली हालत इतनी खराब है कि वो दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए किराए की टैक्सी चलाकर हर महीने 8000 रुपये कमाते हैं।
1990 के दौर में लक्खा सिंह अपनी बॉक्सिंग की वजह से जाने जाते थे। साल 1994 लक्खा सिंह के लिए बेहद खास था, इसी साल उन्होंने एशियन बॉक्सिंग चैंपिनशिप में सिल्वर मेडल हासिल किया था। लेकिन अब साथी खिलाड़ी से मिले धोखे और खेल संघों, सरकारों द्वारा नजरअंदाज किए जाने की वजह से उनकी जिंदगी बेहद खराब दौर से गुजर रही है।
दो साल में तीन अंतरराष्ट्रीय पदक जीतने वाले लक्खा सिंह 1996 के अटलांटा ओलिंपिक में भारत के सबसे चमकदार सितारे थे। हालांकि वे यहां कोई मेडल नहीं वे जीत सके और 17वे नंबर पर रहे।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक 52 वर्षीय पूर्व बॉक्सर ने बताया, 'मैंने अपनी स्थिति को लेकर भारतीय अमेचर बॉक्सिंग फेडरेशन (आईएबीएफ) के साथ पंजाब सरकार को कई खत लिखे, लेकिन किसी ने कभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मैं जो टैक्सी चला रहा हूं वह भी मेरी नहीं है। कोई मेरी बात सुनने को तैयार नहीं है।'
धोखे का शिकार हुए थे लक्खा सिंह
खबरों के मुताबिक सिंह ने 19 साल की उम्र में 1984 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। 1998 में उन्हें एक अन्य बॉक्सर दीबेंद्र थापा के साथ वर्ल्ड मिलिटरी बॉक्सिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेना था। हालांकि ये जोड़ी टेक्सास एयरपोर्ट से बाहर निकल गई और वहां से ये दोनों गायब हो गए।
उन्हें सेना ने भगोड़ा घोषित कर दिया। लक्खा सिंह बताते हैं कि दीबेंद्र थापा अमेरिका में प्रोफेशनल बॉक्सिंग में अपना करियर बनाना चाहता था लेकिन उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी। थापा अमेरिका के प्रफेशनल सर्किट में खेले भी लेकिन लक्खा ने ऐसा नहीं किया।
लक्खा सिंह बताते हैं कि काफी दिनों तक जब हम वापस नहीं लौटे तो लोगों को लगा कि दोनों अमेरिका में सेट हो गए। सेना ने भी मुझे भगोड़ा घोषित कर दिया। लेकिन ऐसा नहीं था मैं 8 साल तक वहां गैस स्टेशन, रेस्त्रां और कंस्ट्रक्शन साइट पर काम किया। किसी तरह 2006 में गांव लौटने में सफल रहा।
लक्खा बताते हैं कि यह सच था कि हम दोनों एयरपोर्ट से बाहर गए। थापा ने मुझे बताया था कि यहां कुछ दोस्तों से मिलना है। हमने कार में बैठकर ड्रिंक लिया और मेरा विश्वास करें उसके बाद हम कभी नहीं मिले।