हरिहरन की धुन पर नाचे गेंदबाज :
जिस देश में क्रिकेट धर्म हो और खिलाड़ी भगवान की तरह पूजे जाते हों वहां प्रतिभा भी ऐसे जन्म लेती है जैसे कोयले के खादान से हीरा निकला हो। तमिलनाडु प्रीमियर लीग में भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों को एक ऐसा ही हीरा मिला जिसे जोहरी की तलाश है। इस खिलाड़ी को सिर्फ तराशने की दरकार है और यह दुनिया में अपनी चमक खुद बिखेरने को बेताब है। मोकित हरिहरन नाम का यह खिलाड़ी ऐसा कोहिनूर है जिसने सिर्फ दोनों हाथों से गेंदबाजी ही नहीं बल्कि बल्लेबाजी में खूब रंग बिखेरे हैं। इस खिलाड़ी के चर्चा में आने के बाद दुनिया में ऐसे कई प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की चर्चा हो रही है जिनके पास ये अदभुत हुनर था।
स्विच हिट में हिट हैं ये बल्लेबाज :
हरिहरण पहले ऐसे गेंदबाज नहीं हैं जिन्हें इस कला में महारत हासिल है। विश्व क्रिकेट में कई ऐसे गेंदबाज हैं जिनके हाथों में ये हुनर था और जिन्होंने अपनी इस कला से क्रिकेट प्रशंसकों को कई बार आश्चर्य में डाला। दोनों हाथों से एक जैसा काम करने वाले लोगों के लिए अंग्रेजी में एक विशेषण Ambidextrous का प्रयोग किया जाता है। इस शब्द का मतलब होता है वह शख्स जो अपने दोनों हाथों से किसी भी काम को समान रूप से कर सकता है और उसे ऐसा करने में कोई कठिनाई नहीं होती है। ऐसी विलक्षण प्रतिभा के लोग दुनिया में बहुत कम हैं। दाएं हाथ से बल्लेबाजी और बाएं हाथ से गेंदबाजी करने वाले खिलाड़ियों को भी इस प्रतिभा का धनी माना जाता है। अगर मॉडर्न डे क्रिकेट की बात करें तो दक्षिण अफ्रीका के मिस्टर-360 (ए.बी डिविलियर्स), न्यूजीलैंड के ब्रैंडन मैकुलम,ऑस्ट्रेलिया के ग्लेन मैक्सवेल और इंग्लैंड के केविन पीटरसन मात्र दो ऐसे बल्लेबाज हैं जो दोनों हाथों से एक जैसे शॉट खेलते हैं जिसे स्विच हिट के नाम से जाना जाता है। आइए हम आपको बताते हैं दुनियाभर के कुछ ऐसे गेंदबाजों के बारे में जिनके पास दोनों हाथों से गेंदबाजी करने की कला थी।
ऑस्ट्रेलियाई दिग्गजों को छकाने वाले अक्षय :
दुनिया भर में प्रतिभा की बात हो और उसमें भारतीय शामिल न हो ऐसा भले कैसे हो सकता है। महाराष्ट्र में जन्मे अक्षय किशनराव कर्णेवार शायद पहले ऐसे भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपनी इस अदभुत प्रतिभा से पूरे देश में सुर्खियां बटोरी थी। विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से घरेलू क्रिकेट खेलने वाले बाएं हाथ के इस स्पिन गेंदबाज ने जनवरी 2016 में डोमेस्टिक क्रिकेट के एक मुकाबले में दोनों हाथों से गेंदबाजी कर खूब सुर्खियां बटोरी थी। उन्होंने लिस्ट-A के लिए खेले गए 7 मुकाबलों में विजय हज़ारे ट्रॉफी में विदर्भ की ओर से सबसे अधिक 16 विकेट झटके थे। साल 2017 में भारतीय दौरे पर आई ऑस्ट्रेलियाई टीम को भी इन्होंने बोर्ड प्रेसिडेंट एकादश की टीम से वार्मअप मैच में जमकर छकाया था। ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज बल्लेबाज डेविड वार्नर, ट्रेविस हेड,मार्कस स्टोइनिस और स्टीव स्मिथ भी इनकी गेंदों को परखने में खूब छके थे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए इस मुकाबले में इस प्रतिभाशाली खिलाड़ी ने 6 ओवर में 59 रन देकर एक सफलता भी अर्जित किया था।
कोच की सलाह से आई विलक्षण प्रतिभा :
दो साल पहले BCCI को दिए एक एक्सक्लूसिव साक्षात्कार में अक्षय ने बताया था कि "पहले वो राइट आर्म ऑफ स्पिनर थे लेकिन कोच की सलाह के बाद उन्होंने लेफ्ट आर्म स्पिन डालना शुरू किया और अब दोनों हाथों से गेंदबाजी उनकी पहचान बन गई है"।इस खिलाड़ी ने अपने साक्षात्कार में यह भी बताया था कि "बल्लेबाज के मुताबिक ये अपनी गेंदबाजी में बदलाव करते हैं, अगर मैदान पर बाएं हाथ का बल्लेबाज मेरे सामने होता है तो उसे राइट आर्म ऑफ स्पिन डालता हूँ और अगर दाहिने हाथ का बल्लेबाज बल्लेबाजी कर रहा हो तो उसे लेफ्ट आर्म ऑफ स्पिन डालता हूँ" इस साल के आईपीएल ऑक्शन में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू ने इन्हें 20 लाख के बेस प्राइस में खरीदा था लेकिन इनका ड्रीम टीम इंडिया के लिए खेलना है और इन्हें अब भी आईपीएल में खेलने का इंतजार है।
हुनर के धनी थे हनीफ मोहम्मद :
पाकिस्तान के पहले सुपरस्टार बल्लेबाज रहे हनीफ मोहम्मद का क्रिकेट करियर शानदार रहा। बहुमुखी प्रतिभा के धनी कहे जाने वाले इस खिलाड़ी में बल्लेबाजी के आलावा कीपिंग और बाएं हाथ से स्पिन गेंदबाजी का भी हुनर था। वो क्रिकेट में रेगुलर गेंदबाजी तो नहीं किया करते थे लेकिन मौका मिलने पर गेंदबाजी में भी हुनर दिखाते थे। लेकिन यह बात बहुत कम लोगों को पता है कि वो दोनों हाथों से भी गेंद फेंकने में माहिर थे। जिस मैच में सर गरफील्ड सोबर्स ने नाबाद 365 रन बनाए थे ठीक उसी मैच में हनीफ मोहम्मद ने बदलाव के तौर पर बाएं हाथ से स्पिन गेंदबाजी की थी।
मौका देखकर करतब दिखाते थे गूच :
इंग्लैंड में जिस क्रिकेटिंग लीजेंड का नाम अदब के साथ लिया जाता है उनका नाम है ग्राहम गूच। अपनी बल्लेबाजी के लिए पूरी दुनियाभर में विख्यात यह खिलाड़ी इंग्लैंड और एसेक्स के लिए क्रिकेट खेलते थे। एक शानदार बल्लेबाज होने के अलावा इनकी गेंदबाजी में भी एक अलग धार थी और पूरी दुनिया में इन्होंने कई खिलाड़ियों को अपनी गेंदों से परेशान किया। अपने जमाने के सबसे शानदार ऑल-राउंडर में से एक कहे जाने वाले गूच ने 118 टेस्ट लंबे करियर में 23 सफलताएं अर्जित की और उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 39 रन देकर 3 विकेट था। इस मध्यम गति के तेज गेंदबाज में एक और शानदार कला थी, ये बाएं हाथ से भी गेंदबाजी करते थे लेकिन वो अपनी इस प्रतिभा का इस्तेमाल सिर्फ उन मैचों में किया करते थे जिनमें उन्हें मैच के परिणाम का पहले से अंदाजा लग जाता था या फिर मैच उनके टीम के पक्ष में होत थी।
1996 विश्व कप के आखिरी ओवर में दिखा जलवा :
श्रीलंका अटपटे नाम और विचित्र गेंदबाजी वाले एक्शन का देश रहा है। मुथैया मुरलीधरन,अजंता मेंडिस, लसिथ मलिंगा, रंगना हेराथ ऐसे कई नाम हैं जिनके गेंदबाजी एक्शन लोगों को लंबे समय तक याद रहे। एक ऐसा ही नाम है हसन तिलकरत्ने जिनमें दोनों हाथों से गेंदबाजी करने की विलक्षण प्रतिभा थी। 83 टेस्ट और 200 ODI मैच खेलने वाले इस खिलाड़ी का क्रिकेटिंग करियर शानदार रहा है। इनके दोनों हाथों से गेंदबाजी करने का खुलासा 1996 के विश्व कप में हुआ जब श्रीलंका ने एकदिवसीय क्रिकेट में केन्या के खिलाफ अपना (सर्वाधिक ODI स्कोर) 398 रनों का स्कोर खड़ा किया था और तिलकरत्ने ने मैच के अंतिम ओवर में दोनों हाथों से गेंदबाजी की थी।
श्रीलंका का एक और 'अजूबा' मेंडिस :
पास्कल हांडी कमिंडु दिलांका मेंडिस यह किसी जगह नहीं बल्कि खिलाड़ी (कमिंडु मेंडिस) का पूरा नाम है। श्रीलंका के इस खिलाड़ी ने भी दोनों हाथों से गेंदबाजी कर बांग्लादेश में आयोजित हुए अंडर-19 वर्ल्ड कप में सुर्खियां बटोरी थी। 17 वर्षीय इस खिलाड़ी ने राइट आर्म ऑफ ब्रेक और लेफ्ट आर्म ऑर्थोडॉक्स गेंदबाजी कर सनसनी मचाई थी। अंडर-19 वर्ल्ड कप के अपने दूसरे मैच में अफगानिस्तान के खिलाफ हुए मुकाबले में इस गेंदबाज ने 36 रन देकर तीन सफलताएं अर्जित की थी और टीम की जीत में अहम भूमिका निभाई थी। इस युवा खिलाड़ी के पास अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ने के लिए काफी समय और क्रिकेट के बदलते प्रारूप के साथ सिर्फ बल्लेबाज ही स्विच हिट ही नहीं मार सकते हैं बल्कि ऐसे विलक्षण प्रतिभा के गेंदबाज भी अपनी गेंदबाजी से कभी भी मैच का स्विच ऑन-ऑफ कर सकते हैं। आशा करिए कि ऐसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उचित मौका मिले।