हार गए 8 साल पुराना केस
इस केस में कोर्ट ने एक आर्बिट्रेटर नियुक्त किया था जिसने बीसीसीआई के खिलाफ अपना फैसला दिया है। डेक्कन चार्जर्स का मालिकाना हक पहले डेक्कन क्रोनिकल्स होल्डिंग्स (DCHL) के पास था। यह मामला करीब 8 साल पुराना है जब बीसीसीआई ने डेन चार्जर्स को को 2012 में अपने अनुबंध से बाहर कर दिया था। तब फिर हैदराबाद के एक मीडिया ग्रुप ने फ्रेंचाइजी को हटाने के बीसीसीआई के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी। बोर्ड ने14 सितंबर 2012 को चेन्नई में आईपीएल गवर्निंग काउंसिल की आपातकालीन बैठक बुलाकर डेक्कन चार्जर्स की टीम को IPL से निकाल दिया गया फिर DCHL ने इस फैसले के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में अर्जी दी। बाद में सन टीवी नेटवर्क ने हैदराबाद फ्रेंचाइजी की बोली जीती और फिर सनराइजर्स हैदराबाद टीम आई।
जांच के लिए नियुक्त थे सीके ठक्कर
इस मामले की पूरी जांज के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस सीके ठक्कर को नियुक्त किया था। डेक्कन क्रॉनिकल का पक्ष जहां धीर एंड धीर एसोसिएट्स रख रहे थे तो बीसीसीआई के हक में मनियर श्रीवास्तव एसोसिएट्स कर रहे थे। धीर एंड धीर एसोसिएट्स के पार्टनर आशीष प्यासी ने कहा, 'बीसीसीआई ने डेक्कन क्रॉनिकल के अनुबंध को एक दिन पहले समाप्त कर दिया था। यह चुनौती अवैध और समयपूर्व समाप्ति के संबंध में थी और ट्रिब्यूनल भी ने भी इसे गलत माना'।
2009 में टीम बनी थी चैंपियन
बता दें कि 2009 में हुए आईपीएल के दूसरे सीजन में डेक्कन चार्जर्स ने खिताब अपने नाम किया था। इस टीम ने एडम गिलक्रिष्ट की अगुवाई में आईपीएल खिताब अपने नाम किया था। तब इन्होंने रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर को हराकर टूर्नामेंट जीता था। डेक्कन चार्जर्स के आईपीएल सफर की बात करें तो टीम ने 2008 से लेकर 2012 तक खेली। फिर सन टीवी नेटवर्क ने हैदराबाद फ्रेंचाइजी की बोली जीती नई टीम सनराइजर्स हैदराबाद आई।