BBC Hindi

क्या बॉल टैम्परिंग कर मैच जीता जा सकता है?

By Bbc Hindi

क्रिकेट की दुनिया में इन दिनों तूफ़ान मचा है. दक्षिण अफ़्रीका के ख़िलाफ़ जारी टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया के एक खिलाड़ी ने पहले तो गेंद से छेड़छाड़ की और बाद में टीम के कप्तान ने भी माना कि यह सबकुछ योजना बनाकर किया गया था.

इस हरकत से 'क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया' सकते में आ गया. अब स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर पर ख़तरे की तलवार लटक रही है.

कुछ लोग ये भी कह रहे हैं स्मिथ पर एक टेस्ट मैच का बैन और पूरी मैच फ़ीस का जुर्माना काफ़ी नहीं है. उनका यह भी कहना है कि सज़ा की तुलना में उनका गुनाह काफ़ी बड़ा है.

लेकिन ऐसा नहीं है कि क्रिकेट की गेंद से पहली बार छेड़छाड़ की गई है या करने की कोशिश की गई है. कभी चुइंग गम, कभी सैंडपेपर (रेगमाल जैसी चीज़), कभी मुंह से छीलना और कभी ज़िप पर रगड़ना, कई खिलाड़ी अतीत में भी इस तरह की हरकत कर चुके हैं.

क्या हैं नियम-कानून?

लेकिन खिलाड़ी ऐसा क्यों करते हैं? गेंद से छेड़छाड़ क्यों की जाती है? क्या इससे फ़ील्डिंग करने वाली टीम को फ़ायदा पहुंचता है? क्या ये छेड़छाड़ टीम को जीत तक पहुंचा सकती है?

क्रिकेट को सिर्फ़ नियमों के दायरे में रहकर नहीं खेला जाता बल्कि खेल के क़ानूनों के मुताबिक़ इसे खेल भावना के साथ खेलना होता है.

दूसरे खेलों की तरह क्रिकेट ने भी अपने नियम ख़ुद बनाए हैं. नेशनल असोसिएशन और इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) पर इन नियमों का पालन कराने की ज़िम्मेदारी होती है.

नियमों की सूची में बिंदु 41.3 के मुताबिक़ मैच बॉल से किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं किया जाना चाहिए. ये गुनाह है और खेल भावना के ख़िलाफ़ भी.

वहीं, नियम 41.3.2 में साफ़ तौर पर लिखा गया है, ''कोई भी खिलाड़ी अगर गेंद को बदलने या उससे छेड़छाड़ की कोशिश करता है तो ये अपराध है.''

बॉल से खिलवाड़ क्यों किया जाता है?

लेकिन सवाल ये भी उठता है कि बॉल की कंडिशन को लेकर इतना संजीदा क्यों रहा जाता है? ऐसा क्या है कि गेंद में ज़रा सा बदलाव आते ही एक टीम विशेष को नाजायज़ फ़ायदा मिल सकता है?

दरअसल, बॉल को स्विंग कराना क्रिकेट की एक ऐसी कला है जो हर टीम चाहती है. अगर गेंद स्विंग हो रही हो तो बल्लेबाज़ के लिए उसे खेलना काफ़ी मुश्किल हो जाता है.

स्विंग के मायने हैं गेंद की चाल और दिशा में बदलाव होना.

इससे भी ज़्यादा ख़तरनाक है रिवर्स स्विंग. दरअसल, आपने गौर किया होगा कि खिलाड़ी गेंद को लगातार रगड़ते रहते हैं. वो ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि गेंद का आधा हिस्सा पुराना होता है, जबकि दूसरे वाले हिस्से को नया बनाए रखने की कोशिश होती है.

जब गेंद काफ़ी पुरानी हो जाती है तो वो चमक वाली साइड की तरफ़ स्विंग होनी शुरू हो जाती है. इसे रिवर्स स्विंग कहते हैं. इसमें आउटस्विंगर गेंद इनस्विंगर बन जाती है और इनस्विंगर, आउटस्विंगर.

...तो ये फ़ायदा कैसे पहुंचाती है?

खिलाड़ी जानबूझकर एक साइड को ख़ुरदरा बनाने की कोशिश करते हैं. इसके लिए गेंद को बार-बार पिच पर पटका जाता है. दूसरी तरफ़ वाली साइड चमकाने के लिए थूक का इस्तेमाल किया जाता है.

तेज़ गेंदबाज़ों के लिए नई गेंद से विकेट लेना आसान होता है. पिच पर पटकने से उछाल आता है और नई गेंद वैसे भी स्विंग लेती है. लेकिन जिन पिचों पर स्पिन गेंदबाज़ों को मदद न मिल रही हो, वहां गेंदबाज़ों को विकेट लेने के लिए रिवर्स स्विंग की ज़रूरत होती है.

जब गेंद रिवर्स स्विंग होती है तो बल्लेबाज़ के लिए उसे पढ़ना और मुश्किल होता है. गेंद हवा में दिशा बदलती है, ऐसे में उसका अंदाज़ा लगाना और मुश्किल हो जाता है. पाकिस्तान के इमरान ख़ान और वसीम अकरम इसके बादशाह माने जाते हैं.

और जब गेंद स्विंग या रिवर्स स्विंग होती है तो बल्लेबाज़ों के लिए रन बनाना ही नहीं बल्कि विकेट बचा पाना बड़ा मुश्किल होता है.

ऑस्ट्रेलिया के कप्तान स्टीव स्मिथ का कहना था कि वो हताशा में ये गलती कर बैठे. ज़ाहिर है, उन्हें ऐसा लग रहा था कि अगर गेंद रिवर्स स्विंग करती तो उन्हें मैच में लौटने का मौका मिल सकता था.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

BBC Hindi

Story first published: Tuesday, March 27, 2018, 8:30 [IST]
Other articles published on Mar 27, 2018
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X