31 अक्टूबर को हुआ सी.के. नायडू का जन्म-
इस तरह से वे अपने पहले ही मैच में भारत के कप्तान बने और वही टीम इंडिया का पहला टेस्ट मैच था। उस समय केवल टेस्ट मैच ही होते थे और वे भी बहुत ज्यादा नहीं होते थे। नायडू ने चार साल टेस्ट क्रिकेट खेला, नायडू ने भारत के लिए केवल 7 ही टेस्ट मैच खेले जिसमें 25 के औसत से 350 रन बनाए। उन्होंने टेस्ट करियर में नो विकेट भी लिए। इसके बाद नायडू फर्स्ट क्लॉस क्रिकेट में लौट आए और यहां उन्होंने सालों मैच खेला। इस बल्लेबाज ने 207 प्रथम श्रेणी मैच खेले जिसमें 35.94 की औसत से 11,825 रन बनाए। उन्होंने 26 शतक और 58 अर्धशतक लगाए हैं। नायडू ऑफ ब्रेक गेंदबाजी भी करते थे जिसकी बदौलत उन्होंने 411 विकेट भी लिए।
68 साल की उम्र में खेला अंतिम क्रिकेट मैच
सीमित टेस्ट करियर के बावजूद नायडू का नाम दुनिया के उन चुनिंदा क्रिकेटरों में शामिल हैं जिन्होंने काफी उम्र तक क्रिकेट खेला। आखिरी फर्स्ट क्लॉस मैच खेलने के दौरान नायडू की उम्र 68 साल थी। रिटायरेंट से पहले नायडू ने फर्स्ट क्लॉस मैचों में काफी रन बना लिए थे। नायडू ने 1926 में एक शानदार पारी खेली जब मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब ने भारत का दौरा किया। उन्होंने 116 मिनट में 153 रन ठोक डाले। नायडू ने 1963-64 सीजन में 68 साल की उम्र में अपना अंतिम प्रथम श्रेणी मैच खेला था।
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वह छक्का जो कर गया शहर को पार
जिस समय नायडू क्रिकेट खेलते थे उस समय बल्लेबाजी में डिफेंस करना ही कला मानी जाती थी। तब टी-20 क्रिकेट तो दूर वनडे क्रिकेट का शुरू नहीं हुआ था इसलिए बल्लेबाज जब छक्के मारते थे वह बड़ी बात मानी जाती थी। नायडू ने भी अपने करियर में एक ऐसा ही छक्का लगाया जो उनके खेल करियर का बड़ा किस्सा बनकर उभरा। ये बात उस समय की है जब नायडू इंग्लैंड गए थे। इसी दौरान नायूड ने एक ऐसा छक्का मारा जो दूसरे शहर में जाकर गिरा। यह बात सुनने में भले ही हैरान लगे लेकिन सच है। उस मैच के बारे में बताया जाता है जिस मैदान पर वो मैच हो रहा था वो इंग्लैंड की दो काउंटी वॉरविकशायर और वॉस्टरशायर के बॉर्डर पर था। भौगोलिक तौर पर एक नदी दोनों की सरहद बनाती थी। सीके का छक्का इस नदी को पार कर गया था। इस छक्के की लंबाई 115 मीटर बताई जाती है।
सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड
नायडू को 1956 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था और उनके नाम पर एक पुरस्कार भी रखा गया था। साल 2006 से भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने सीके नायडू के नाम से अवॉर्ड की घोषणा की। उसके बाद हर साल किसी न किसी खिलाड़ी को सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया जाता है। हालांकि, सभी संख्याओं और उपलब्धियों के बावजूद, उनके बारे में सबसे दिलचस्प तथ्य यह है कि वह 1941 में एक ब्रांड - बाथगेट लिवर टॉनिक का विज्ञापन करने वाले पहले खिलाड़ी थे। यह वो समय था जब लोग खिलाड़ियों की मैदान से बाहर कैमरे के सामने की गतिविधियों पर काफी सवाल उठाया करते थे, उस समय नायडू एक कंपनी का चेहरा बन चुके थे।