नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित प्रशासकों की समिति (सीओए) और बीसीसीआई के पदाधिकारियों के विवाद से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त दो सदस्यीय प्रशासकों की समिति (सीओए) और बीसीसीआई के तीन प्रमुख पदाधिकारियों के बीच की जंग और गहरी हो गई है। सीओए विनोद राय की अगुवाई वाली पैनल ने कार्यवाहक अध्यक्ष सी के खन्ना, कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी और कोषाध्यक्ष अनिरूद्ध चौधरी के तमाम कामकाजी अधिकार छीन लिये हैं।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय में पिछले सप्ताह दाखिल सातवीं स्टेटस रिपोर्टमें सीओए पहले ही बीसीसीआई के इन बड़े अधिकारियों की बर्खास्तगी की मांग कर चुके हैं। अब एक कदम आगे बढते हुए उन्होंने पदाधिकारियों को सर्वसम्मति से कोई भी फैसला लेने से रोक दिया है। इसके अलावा सीओए ने एक और बड़ा फैसला लिया है। दरअसल सीओए ने लोढा समिति से जुड़े मसलों में कानूनी खर्चो के लिये बीसीसीआई के धन का इस्तेमाल करने से भी उन्हें रोक दिया गया है।
अब वे सीओए की अनुमति के बिना विभिन्न बैठकों में भाग लेने के लिये अपनी यात्रा और प्रवास की योजना नहीं बना सकते हैं। खबरों की मानें तो विनोद राय के इन बड़े फैसलों के पीछे एक खास वजह है वह है- भारतीय क्रिकेटरों के केंद्रीय करार में देरी। ऐसा समझा जाता है कि भारतीय क्रिकेटरों के केंद्रीय करार में देरी से सीओए प्रमुख विनोद राय चिढ़ गए हैं क्योंकि खिलाड़ियों के बीमे खत्म होने वाले थे। आपको बता दें कि इससे पहले एक और मामला सामने आया जो बीसीसीआई के पदाधिकारियों और सीओए के बीच अनबन का कारण बना। वो मामला था सीओए द्वारा पूर्व पत्रकार और फिलहाल एक फिल्म प्रोडक्शन कंपनी से जीएम ( मार्केटिंग ) के रूप में जुड़े शख्स की एक करोड़ 65 लाख की सालाना तनख्वाह पर नियुक्ति करना। इस नियुक्ति पर बीसीसीआई सचिव अमिताभ चौधरी ने हस्ताक्षर करने से ही मना कर दिया था। उनका कहना था कि सीओए ने बिना बीसीसीआई पैनल से सलाह लिए नियुक्ति कर दी। हालांकि अब उनसे ये अधिकार छीन लिए गए हैं। कुल मिलाकर बीसीसीआई कार्यकारी पदाधिकारियों के सभी अधिकार छिन गए हैं।
अब तीनों ही पदाधिकारियों को अपना और अपने कर्मियों का यात्रा खर्च लेने के लिए सीओए की मंजूरी लेनी होगी। यही नहीं किसी भी सब कमेटी की बैठक बिना सीओए की मंजूरी के नहीं होगी। किसी भी अनुबंध या नियुक्ति पर अगर कार्यवाहक सचिव ने पांच दिन के अंदर हस्ताक्षर नहीं किए तो सीओए की मंजूरी से सीईओ के हस्ताक्षर पर इसे मंजूरी दे दी जाएगी।
अब 25 लाख रुपये के ऊपर के पेमेंट पर भी चौधरी ने हस्ताक्षर नहीं किए तो इसे सीओए की मंजूरी से पास कर दिया जाएगा। साथ ही सीओए ने इन तीनों पदाधिकारियों की बाहरी कानूनी सलाहों का भुगतान करने पर भी रोक लगा दी है। अब बीसीसीआई पदाधिकारियों की ओर से किया गया कोई भी संवाद या लिए गए फैसले की जानकारी सीओए को दी जाएगी। अगर पदाधिकारी ऐसा नहीं करते हैं तो बोर्ड के कर्मी लिए गए फैसलों की कॉपी उन्हें भेजेंगे। बिना सीओए की मंजूरी के इन फैसलों का मतलब नहीं रह जाएगा।