भयंकर हार के बाद नया निर्माण चाहते हैं फाफ-
35 साल के डु प्लेसिस ने दक्षिण अफ्रीका के लिए 32 टेस्ट में से 17 में जीत दिलाने का नेतृत्व किया है। इसी बीच मुश्किल समय में डु प्लेसिस चाहते हैं कि टीम के पुनर्निर्माण और नए युग में आगे बढ़ने पर क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका "स्पष्टता" दिखाए। कप्तान ने यह मांग ऐसे समय की है जब एक साथ कई बड़े प्रोटियाज टेस्ट क्रिकेटर्स छोटे से अंतराल में ही क्रिकेट को अलविदा कर गए हैं। इनमें एबी डिविलियर्स, हाशिम अमला और डेल स्टेन (टेस्ट क्रिकेट) जैसे नाम शामिल हैं। ओटिस गिब्सन के नेतृत्व में दक्षिण अफ्रीकी कोचिंग स्टाफ और चयन समिति को विश्व कप में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद बर्खास्त कर दिया गया था। एक नई व्यवस्था की गई थी लेकिन नए सदस्यों को केवल अंतरिम तौर पर चुना गया था, जिसमें भारत के दौरे के लिए क्रिकेट के निदेशक और एक टीम निदेशक भी शामिल थे। डु प्लेसिस चाहते हैं कि अधिक पूर्व खिलाड़ी दक्षिण अफ्रीका के पुनर्निर्माण में शामिल हों।
टॉस और अंधेरे ने कर दिया काम-
इसी बीच फाफ डु प्लेसिस ने टॉस की भूमिका पर सवाल उठाया है। उन्होंने खासकर उपमहाद्वीप में टॉस की भूमिका सीमित करने पर जोर दिया। यह वही टॉस है जो डुप्लेसिस भारत के खिलाफ पूरी सीरीज में हारे थे और अंत में उन्होंने बावुमा से भी भी टॉस कॉल कराई लेकिन फिर भी हार गए। इसके बाद जब डु प्लेसिस से जब टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम की रणनीति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "हर टेस्ट मैच में, वे पहले बल्लेबाजी करते हैं, फिर 500 का स्कोर करते थे, बाद में जब अंधेरा हो जाता तो वे पारी घोषित कर देते, इसी अंधेरे में उनको तीन विकेट मिलते, और जब मैच का तीसरा दिन शुरू होता, तो हम दबाव में होते थे।" डु प्लेसिस के इस झल्लाहट भरे जवाब को क्रिकबज ने उनके हवाले से बताया है।
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'हर टेस्ट मैच में कॉपी और पेस्ट जैसा था'
उन्होंने आगे कहा, "यह हर टेस्ट मैच में कॉपी और पेस्ट जैसा था। अगर विदेशी टेस्ट में टॉस भूमिका सीमित होती है तो मेहमान टीमों के पास बेहतर मौका होगा। दक्षिण अफ्रीका में मैं ऐसा नहीं मानता। हम वैसे भी घसियाली विकेट पर बल्लेबाजी करते हैं। " बता दें कि भारतीय टीम के सीमर्स ने जहां टेस्ट सीरीज में 25 विकेट निकाले थे तो वहीं अफ्रीका के तेज गेंदबाज संघर्ष करते नजर आए थे। यहां तक की उनके स्पिनर्स भी विकेट नहीं ले सके और बल्लेबाज रन नहीं बना सके।